छाती का दर्द (एनजाइना पैक्टोरिस) के लक्षण, कारण, निदान, उपचार, और बचाव
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एंजाइना पैक्टोरिस, छाती का दर्द, हार्ट अटैक
छाती का दर्द एंजाइना पैक्टोरिस दर्द से भर उठे दिल की फरियाद है। यह खतरे की घंटी है जो इस बात की इत्तिला देती है कि दिल पूरी खुराक न मिलने से तकलीफ में है। उसकी मांसपेशियाँ ऑक्सीजन और ग्लुकोस पाने के लिए व्याकुल हैं, लेकिन कोरोनरी धमनियों में खून का इतना दौरा नहीं कि वे इस जरूरत को पूरी कर पाएँ। छाती का दर्द छाती में उठने वाली घटन, ऊपर पत्थर रखे जाने का-सा दबाव, सॉस में तकलीफ होना इसका प्रकट रूप है। लेकिन इसके हो जाने पर यह निष्कर्ष निकाल लेना कि जिंदगी का तो अब कोई भरोसा ही नहीं, बिलकुल गलत है।
अनुशासनमय रहन-सहन, वस्थ खान-पान, सयत आचार-व्यवहार, एंजाइना पैक्टोरिस रोधक दवाओं और बड़े हुए मामलो में कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और बायपास सर्जरी से जीवन की डोर मजबूत बनाई जा सकती है। ( पार्किनसन रोग )
एंजाइना पैक्टोरिस क्या है ? what is angina pactoris?
एंजाइना यह छाती में उठने वाली एक खास तरह की तकलीफ है, जो रुक-रुक कर उस समय उठती है, जब दिल को उसके काम के हिसाब से खुराक नहीं मिलती।

Angina pactoris
उसकी मेहनती मांसपेशियों का ऑक्सीजन और ग्लुकोस देने वाली कोरोनरी धमनियाँ सुस्त पड़ जाती हैं। या तो उनके किसी एक, दो, तीन या ज्यादा हिस्सों में सँकरापन आ जाता है या ये धमनियाँ समय-समय पर स्पैम में जाने से पिचक जाती हैं। ( मिरगी (दौरा पड़ना)का सफल इलाज़ )
उनमें खून का दौरा इतना नहीं रहता कि वे दिल की जरूरत पूरी कर सकें। ऐसे में भी दिल हिम्मत नहीं हारता। जैसे-तैसे तंगी में भी काम चलाता रहता है। लेकिन जब कभी उस पर दबाव बढ़ता है, उससे यह बोझ झेला नहीं जाता। वह रह-रहकर अपनी तकलीफ जाहिर करता है।
शारीरिक दौड़-धूप, उत्तेजना, तनाव, व्यग्रता, क्रोध, भय, विद्वेष, खुशी और गम की घड़ियों में यही तकलीफ एंजाइना पैक्टोरिस के रूप में मुखरित हो उठती है।
क्या यही मर्ज बिगड़ कर दिल का दौरा भी पैदा कर सकता है ?
दरअसल एंजाइना पैक्टोरिस और दिल का दौरा एक ही रोग के दो अलग-अलग पहलू हैं। दोनों का संबंध दिल की कोरोनरी धमनियों के रक्त-प्रवाह से है। धमनी में आए सँकरेपन से खून का दौरा घट जाता है तो एंजाइना के लक्षण प्रकट होते हैं, और सँकरी धमनी में खून का थक्का फँस जाए और अचानक खून का दौरा बिलकुल रुक जाए तो दिल का हिस्सा मृतप्राय हो जाता है, जिसे हृदयाघात या दिल का दौरा कहते हैं। इस तरह दोनों दरअसल कोरोनरी धमनी की ही उपज हैं। ( निमोनिया के लक्षण )
यह किस उम्र का रोग है ? पुरुषों और स्त्रियों में यह या किस में होता है ?
दुनिया के अधिकतर देशों में कोरोनरी धमनी रोग 50-60 वर्ष उसके आगे की उम्र में प्रकट होता है। लगभग 80 प्रति मामले पुरुषों के होते हैं। पचास साल से कम उम्र के रोगियों स्त्रियों की संख्या और भी कम होती है।
लेकिन हमारे देश में पिछले कुछ दशकों में स्थित चिताजनक बनी हुई है। यहाँ एंजाइना पैक्टोरिस और हृदयाघात के मामले 35-40 वर्ष की उम्र से ही बड़ी तादाद में हो रहे हैं। एक तरह से विश्व के अन्य देशों की तुलना में कोरोनरी धमनी हृदय रोग न सिर्फ यहाँ महामारी बन रहा है, बल्कि उस उम्र में हो रहा है। जहाँ से कोई अपने जीवन में कुछ पाने की शुरुआत ही करता है।
कोरोनरी धमनियों में सँकरापन( Pigmentation) कैसे पैदा होता है ? क्या इससे बचा नहीं जा सकता ?
कोरोनरी धमनी रोग के पूरे रहस्य आज भी ठीक से खुल नहीं सके हैं। हाँ, इतना मालूम है कि कुछ परिस्थितियाँ इसके जोखिम को बढ़ाती हैं।

डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, खून में सामान्य से अधिक कोलेस्ट्रोल, माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी में रहा रोग, बढ़ती उम्र, मोटापा, ऐसी जीवन-पद्धति जिसमें चलना-फिरना, शारीरिक दौड़-धूप करना नसीब नहीं होता और हर समय सघन तनाव बना रहता है, कोरोनरी धमनियों के लिए जोखिमकारी हैं। इनकी उपस्थिति में कोरोनरी धमनियों में जगह-जगह चर्बी जम जाती है, जिससे उनका लचीलापन नष्ट हो जाता है और भीतर का आयतन कम होने से खून का दौरा धीमे-धीमे कमजोर होता जाता है। ( खून में आयरन की कमी )
एंजाइना होने पर व्यक्ति क्या महसूस करता है?
अचानक से छाती मे अजीब सी घुटन होने लगती है। तेज बेचैनी होती है। लगता है जैसे कि छाती भींची जा रही हो। उस पर बड़ा भारी वजन रख दिया गया है। सास नहीं ली जा रही । दबाव-सा अनुभव होता है।

तकलीफ छाती के बीचोबीच वक्षास्थि से शुरु होती है। यहाँ से यह बाई । बाँह या दोनों बाँहों में फैल सकती है। ऊपर की तरफ गर्दन, जबड़ा, गला, कंधा भी गिरफ्त में आ सकते हैं। कभी-कभी दर्द सिर्फ पेट के ऊपरी हिस्से में ही होता है, जिसे समझ पाना बहुत मुश्किल होता है।
एंजाइना के लक्षणों की एक बड़ी विशेषता यह होती है कि इसमें तकलीफ पहले मिनट-मिनट बढ़ती है, फिर इसी तरह घटती है। आराम करने या जुबान के नीचे नाइट्रोग्लीसरीन की गोली रख लेने से अक्सर तुरंत राहत मिल जाती है, लेकिन चंद मामलों में दर्द आधे घंटे तक भी बना रह सकता है। ( टेस्टोस्टेरोन )
ज्यादातर तकलीफ 5 मिनट के भीतर ही दब जाती है। । पर कुछ मरीज रात में सोते हुए भी एजाइना का करते हैं। यह तकलीफ दिन में ज्यादा काम कर लेने से होनेवाली तकलीफ से मिलती है। लेटे हुए आराम की स्थिति इसकी उपज केसे और क्यों होती है, यह पूरी तरह साफ नहीं इसकी एक वजह उत्तेजक या भयानक सपने भी हो सकते हैं।

आराम करते हुए अचानक कोरोनरी धमनी के संकुचन में चले जाने से भी एंजाइना के लक्षण पैदा हो सकते हैं। यह प्रिजमेटल एंजाइना कहलाता है। | कुछेक मरीजों में साँस उखड़ने, चक्कर आने, थकान या हिचकियों की ही शिकायत होती है। मधुमेहियों में तो कई बार किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते। ऐसे में तकलीफ का निदान कर पाना बेहद मुश्किल होता है।
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