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पित्त की थैली (गाल ब्लेडर) क्या है :
हमारे शरीर में नाशपाती के आकार का थैलीनुमा यह अंग लीवर के नीचे पाया जाता है। (पित्त की पथरी) सामान्यतः इसका कार्य पित्त को इकट्ठा करना एवं उसे गाढ़ा करना है। आम धारणा के विपरीत यह अंग स्वयं पित्त नहीं बनाता है। आमतौर पर 85 प्रतिशत लोगों के पित्ताशय में यह पथरी ‘चुपचाप’ पड़ी रहती है। इनसे कोई कष्ट नहीं होता। जिन लोगों को पेट के दाएँ ऊपरी हिस्से में दर्द होता है उन्हें पथरी की समस्या हो सकती है (छाती का दर्द)
पित्त में पथरी का बनना एक पीड़ादायक समस्या है। अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती हैं। पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है। पित्त की पथरी को घरेलू उपचार के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

क्या होता है पित्त (बाइल ज्यूस) और क्यों जरूरी है : यह एक पाचन रस है जो कि लीवर द्वारा बनाया जाता है। यह वसायुक्त पदार्थों के पाचन में मदद करता है।
पित्ताशय में पथरी के कारण (Causes of gall bladder stone)
एक से लेकर सैकड़ों की संख्या में हो सकती हैं। छोटी या बड़ी साइज में पाई जाती हैं। ये पित्त की थैली में बार-बार सूजन आने के कारण बनती हैं। ये पथरियाँ किडनी स्टोन्स से अलग प्रकार की होती हैं।(डायबिटीज कंट्रोल करने के अचूक उपाए)

किसी कारणवस पित्त (bile) में बाधा पड़ने से यह रोग उत्पन्न हो जाता है। जो लो शारीरिक परिश्रम न कर मानसिक परिश्रम अधिक करते हैं अथवा वैसे करते हैं तथा नाइट्रोजन और चर्बी वाले खाद्य-पदार्थ अधिक मात्रा में खाते हैं। को ही इस रोग से आक्रांत होने की अधिक संभावना रहती है। | सौ में से दस रोगियों को 40 से 50 वर्ष की आयु के बाद और अधिकतर स्त्रियों को यह रोग हुआ करता है।( थाइरोइड)
आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि कुछ रोगों के कीटाणु (जैसे टाइफायड के कीटाण) पित्ताशय में सूजन उत्पन्न कर देते हैं जिस कारण पथरी बन जाती है। बी-कोलाई नामक
कीटाणु इस रोग का मुख्य कारण माना जाता है।
यह पित्ताशय में साधारण रेत के कणों (1 से 100 तक) से लेकर दो इंच लंबी और एक इंच तक चौड़ी होती है।
पित्त की पथरी के लक्षण (Signs and symptoms of gallstones)
पथरी जब तक पित्ताशय में रुकी रहती है, तब तक रोगी को किसी भी तरह की कोई तकलीफ महसूस नहीं होती है। कभी-कभी पेट में दर्द मालूम होता है,

किंतु जब यह पथरी पित्ताशय से निकलकर पित्त-वाहिनी नली में पहुंचती है, तब पेट में एक तरह का असहनीय दर्द पैदा होकर रोगी को व्याकुल कर देता है। इस भयानक दर्द को पित्त शूल कहते हैं। |
यह शूल दाहिनी कोख से शुरू होकर चारों ओर (दाएं कंधे और पीट तक) फैल जाता | दर्द के साथ अक्सर कै (वमन), ठंडा पसीना, नाड़ी कमजोर, हिमांग कामला, सांस में कष्ट, मूच्र्छा आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। यह दर्द कई घंटों से लेकर कई सप्ताह तक रह सकता है और जब पथरी आंत के अंदर आ जाती है तब रोगी की तकलीफ दूर हो जाती है और रोगी सो जाता है। |
जब तक पथरी स्थिर भाव में रहती है तब तक तकलीफ घट जाती है और जब पथ हिलती-डुलती है उसी समय तकलीफ पूनः बढ़ जाया करती है। इस प्रकार पथर हिलने-डुलने से तकलीफ बढ़ती-घटती रहती है। यह क्रम कई घंटों से लेकर कई सप्ता तक चल सकता है। (टीबी का आधुनिक और सफल इलाज़)
पित्ताशय शूल के लक्षण स्पष्ट होने पर पित्त पथरी का ज्ञान हो जाता है (चिकित्सक) को निदान में संदेह हो तो तुरंत एक्स-रे करा लेना चाहिए।
पित्त की पथरी के घरेलू उपचार (Home remedies of gallstones)
- चिकित्सा शची क्वालिटी का प्याज लेकर उसे भली प्रकार पीस लें। फ़ि से निचोड़कर रस निकाल लें। उसे सुबह खाली पेट नित्य पीने से पथरी जारी कणों के रूप में टूटकर मूत्र के साथ निकल जाती है। (विटामिन डी की कमी के लक्षण)
- शरी को गलाने के लिए अधउबला चौलाई का साग दिन में चार बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना लाभदायक होता है। इसके साथ ही आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबालकर कपड़े से छान लें। बथुए को अच्छी प्रकार निचोड़ लें। इस प्रकार तैयार किया गया पानी दिन में चार बार पिएं। इसमें जरा-सी काली मिर्च, जीरा और बहुत हल्का-सा सेंधा नमक मिला लें। दोनों सागों के उपयोग से गुर्दो के सभी प्रकार के रोगों में कुछ ही सप्ताह में लाभ हो जाता है।

- दो चुकंदर लेकर उन्हें आयु के अनुसार पच्चीस से पचास ग्राम पानी में भली प्रकार उबालें और चुकंदर को मसलकर उसमें मिला लें। फिर उसको छानकर पी जाएं। पीने से पहले यह ध्यान रखें कि गरमी सहन करने योग्य रह जाए। इसके साथ ही भोजन में एकाध खीरा अवश्य खाएं। इससे पथरी एक माह में ही टूट-टूटकर बाहर निकलना शुरू हो जाती है। जब तक पूरी तरह निरोग न हो जाएं, यह उपचार जारी रखें।
- जीरे को मिसरी की चाशनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- एक मूली को खोखला करके उसमें बीस-बीस ग्राम गाजर और शलजम के बीज भर दें। फिर मूली को गरम राख में भुरते की तरह धुन लें। तत्पश्चात मूली में से बीज निकालकर सिल पर पीस लें। सुबह-शाम पांच-छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक लेने से पेशाब खुलकर आएगा। पथरी घुलकर मूत्र के साथ बह जाएगी।

- यदि मूत्र संस्थान में पथरी हो तो रोगी को नित्य एक गाजर खानी चाहिए। इससे मूत्रावरोध दूर होगा और पेशाब खुलकर आएगा। पेशाब के साथ ही पथरी घुलकर निकल जाएगी।
- सूखे आवले को नमक की तरह पीस लें। उसे मली पर लगाकर चबा-चबाकर वाए। सात दिनों में पथरी पेशाब के रास्ते निकल जाएगी। खाली पेट सुबह-सवेरे सेवन करने से मूत्राशय की पथरी बड़ी जल्दी निकल जाती है।
- पहाड़ी कुल्थी और शिलाजीत, दोनों एक-एक ग्राम दूध के साथ सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।
- एक उच्च फाइबर आहार, पित्ताशय की थैली की पथरी के इलाज के लिए बहुत आवश्यक है। इसबगोल घुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत होने के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है। आप इसे अपने अन्य फाइबर युक्त भोजन के साथ या रात को बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं।
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