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अनीमिया में खून बेजान हो जाता है। उसकी ऑक्सीजन वाहक ताकत घट जाती है जिससे पूरे शरीर पर मुर्दनी छा जाती है।
कुछ करने को जी नहीं चाहता, कमजोरी आ जाती है, चेहरे की रौनक छिन जाती है, दिल की भाग–दौड़ बढ़ जाती है और सिर में दर्द रहने लगता है।
हीमोग्लोबीन बहुत कम हो जाए तो साँस भी उखड़ने लगती है और पानी-सा पतला खून पंप करते-करते बेचारा दिल भी ‘बैठ’ जाता है।
समय से इलाज ही इसका सबसे अच्छा समाधान है।
अनीमिया क्या है ? What Is Anemia?
- अनीमिया क्या है ? What Is Anemia?
- हीमोग्लोबीन क्या है?What Is Hemoglobin?
- अनीमिया किन कारणों से होता है ?Causes Of Anaemia?
- शरीर में लौह तत्त्व की कमी कैसे आती है ? Causes Of Iron Deficiency Anemia?
- अनीमिया के लक्षण क्या-क्या हैं ?Symptoms Of Aneamia?
- अनीमिया में क्या-क्या जाँच-परीक्षण किए जाते हैं?Diagnosis of Anemia?
- हीमोग्लोबीन की सामान्य सीमा क्या होती है? Normal Limit of Hemoglobin
- अनीमिया का इलाज क्या है ?Anemia Treatment?
- खानपान की कौन-कौन सी चीजों में लौह तत्त्व प्रचुर मात्रा में होता है ? Food High In Iron?
- बिटामिन बी और फॉलिक एसिड हमें कहाँ से मिलते हैं?Food High In Folic Acid?
अनीमिया का मतलब खून की कमी होता है। लेकिन सच बात यह है कि इसमें हीमोग्लोबीन कम हो जाता है जिससे खून की ऑक्सीजन–वाहक क्षमता को धक्का लगता है।
हीमोग्लोबीन कर स्तर जितना कम होता है, खून उतना ही पतला हो जाता है।
इसका असर शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है जिन्हें ऑक्सीजन की कमी बहुत खलती है। पूरा शरीर ही निस्तेज हो जाता है और काम करने की ताकत घट जाती है।
हीमोग्लोबीन क्या है?What Is Hemoglobin?
हीमोग्लोबीन लाल रक्त–कणिकाओं में पाया जाने वाला लाल टल है। यह लौह तत्त्व हीम और ग्लोबीन नामक प्रोटीन के मेल बनता है और इसी से खून का रंग लाल होता है।
खून के सबसे महत्त्वपूर्ण काम–ऑक्सीजन को फेफड़ों से ग्रहण कर शरीर के सभी अंगों तक ले जाने का दायित्व इसी के सिर है।
अनीमिया किन कारणों से होता है ?Causes Of Anaemia?
इसके बहुत से कारण हो सकते हैं।
- शरीर में लौह तत्त्व की कमी (Iron deficiency) इसका एक बहुत बड़ा कारण है। (भूख बढ़ाने के घरेलू और रामबाण उपचार)
- लेकिन दो अन्य पोषक तत्त्व विटामिन बी और फॉलिक एसिड की कमी होने पर भी यह हो जाता है।
- शरीर से खून का ज़ाया होना–चाहे यह अचानक चोट लगने पर हो कि एक साथ बहुत सारा खून बह जाए या धीरे-धीरे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेट में कीड़े, अल्सर, बवासीर, नकसीर, खूनी पेचिश होने और फेफड़ों की टी. बी. में खून के जाते रहने से हो।
- लाल रक्त-कणिकाओं के निर्माण में बाधा आने पर, जिसमें उपर्युक्त पोषक तत्त्वों की कमी, लंबी बीमारियाँ, जिगर और गर्दो का ठप्प हो जाना, हॉर्मोन का बिगड़ाव, मज्जा का रक्त-कैंसर या दूसरे किसी कैंसर से नष्ट हो जाना और मज्जा का काम करना बंद कर देना कुछ प्रमुख कारण हैं।
- कोई आनुवंशिक कमी जैस थेलेसीमिया , सिकल सेल और हेरेडिटरी स्फीरोसाइटोसिस में या शरीर में कोई ऐसी कमी आ जाता है जिससे कि रक्त-कणिकाएँ (RBC) नष्ट हो जाते हैं।
- मलेरिया जैसे संक्रमण, कुछ दवाएँ, दिल में रोपित कृत्रिम वाल्व, कई तरह के विष और खून में उपस्थित ऐंटिबॉडी यह अपराध कर सकते हैं।
शरीर में लौह तत्त्व की कमी कैसे आती है ? Causes Of Iron Deficiency Anemia?
इसके भी कई कारण हो सकते हैं। खान–पान में लौह तत्त्व की कमी हो सकती है, छोटी आंत की लौह तत्त्व जज्ब करने की क्षमता बिगड़ी हो सकती है या फिर अधिक मात्रा में शरीर से खून जाने पर यह कमी आ सकती है।
यौवन में पाँव रखने से रजोनिवृत्त (Menopause) होने तक स्त्रियों में इसके होने की आशंका अधिक होती है। जिन स्त्रियों को मासिक धर्म में अधिक खून जाता है, उन्हें विशेष रूप से सजग रहना चाहिए।
अनीमिया के लक्षण क्या-क्या हैं ?Symptoms Of Aneamia?
जब तक हीमोग्लोबीन बहुत कम नहीं हो जाता, साधारणतया उसका पता ही नहीं चलता।
कुछ में इसका निदान खून की जाँच से ही होता है। डॉक्टरी जाँच के समय हीमोग्लोबीन का स्तर मापने से इसका पता चल जाता है।
कइयों में कुछ अस्पष्ट से लक्षण अनीमिया की ओर ध्यान खींचते हैं। जैसे
- कमजोरी आ जाती है
- काम करने को जी नहीं करता
- सिर में दर्द रहता है
- चक्कर आ सकते हैं
- नजर में धुंधलापन आ जाता है
- उँगलियों में सूइयाँ चुभती मालूम देती हैं
- हीमोग्लोबीन बहुत कम होने पर दिल की धड़कन की गति बढ़ जाती है
- साँस उखड़ने लग सकती है और पैरों पर सूजन आ जाती है
- लौह तत्त्व की कमी से हुए अनीमिया में मिट्टी या कोयला खाने की असामान्य इच्छा भी जागृत हो सकती है
- कुछ का रुझान अचानक टमाटर या हरी पत्तेदार चीजों की ओर हो जाता है
- मुँह के कोने फटने, नाखून टूटने, जीभ छिलने, आँखों की पतलियों के पीले होने से भी पता चल जाता है कि अनीमिया हो गया है
अनीमिया में क्या-क्या जाँच-परीक्षण किए जाते हैं?Diagnosis of Anemia?
हीमोग्लोबीन (Hemoglobin) के स्तर से अनीमिया की गंभीरता का पता लगने के बाद खून की जाँच से ही यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि अनीमिया क्यों हुआ।

इसके लिए रक्त-कणिकाओं की स्लाइड बना कर जाँच की जाती है। कणिकाओं में औसत हीम की मात्रा भी नापी जाती है।
खून में लौह तत्त्व, विटामिन बी और फॉलिक एसिड की मात्रा का भी स्तर नापा जा सकता है।
कई मामलों में हड्डी में सूई डालकर मज्जा की जाँच (बॉन मेरो एस्पिरेशन) भी की जाती है।
मल की जाँच भी करनी पड़ सकती है कि पेट में कीड़े न हों।
कुछ मामले बहुत उलझे हुए साबित होते हैं, उनमें जरूरत के मुताबिक अन्य जाँच-परीक्षण किए जाते हैं।
हीमोग्लोबीन की सामान्य सीमा क्या होती है? Normal Limit of Hemoglobin
इसकी सामान्य मात्रा अलग–अलग उम्र और स्त्री–पुरुष में अलग–अलग होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार
- 6 साल से कम उम्र के बच्चे में 11 ग्राम,
- 6 से 14 साल की उम्र में 12 ग्राम,
- गर्भवती महिला में 11 ग्राम,
- वयस्क स्त्री में 12 ग्राम
- वयस्क पुरुष में 13 ग्राम (प्रति 100 मिलीलीटर रक्त) से कम हीमोग्लोबीन अनीमिया का सूचक है।
अनीमिया का इलाज क्या है ?Anemia Treatment?
यह उसके मूल कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है।
लोहे की कमी का इलाज़-Iron deficiency Anemia Treatment
लौह तत्त्व की कमी (Iron deficiency Anemia treatment) से उपजे अनीमिया में अक्सर लौह तत्त्व की गोलियाँ या कैप्सूल दे कर ही हीमोग्लोबीन को बढ़ाया जा सकता है।

साधारण फेरस सल्फेट की गोलियाँ डॉक्टर द्वारा बताई गई मात्रा में लेना उतना ही उपयोगी सिद्ध होता है जितने कि महँगे कैप्सूल।
लेकिन कुछ लोगों के लिए लौह तत्त्व लेना सचमुच लोहे के चने चबाने के समान साबित होता है। पेट में खलबली मच जाती है, अफारा आ जाता है, भारीपन महसूस होता है और दर्द भी हो सकता है।
इन लक्षणों से बचने के लिए लौह तत्त्व का कोई दूसरा रूप जैसे फेरस ग्लकानेट या फेरस लेक्टेट लिया जा सकता है।
भोजन के साथ गोली लेने से भी इस प्रकार की परेशानियाँ कम होती हैं। इलाज(Anemia Treatment) का असर हालाँकि जल्द दिखने लगता है, लेकिन इसे हीमोग्लोबीन के सामान्य होने के छह माह बाद तक जारी रखना होता है ताकि शरीर में लौह–भंडार बन सके।
जिन लोगों में लौह तत्त्व जज्ब होने में कठिनाई होती है, उन्हें टीके द्वारा लौह तत्त्व दिया जाता है। लेकिन ये टीके बहुत ध्यान से देने पड़ते हैं और हर किसी को माफिक नहीं आते।
हीमोग्लोबीन बहुत कम होने पर तत्काल स्थिति को सँभालने के लिए खून चढ़ाने की जरूरत भी पड़ जाती है।
लेकिन स्थिति में सुधार आते ही लौह तत्त्व की भरपाई और उसकी कमी के सही कारण की खोजबीन करना जरूरी होता है।
फॉलिक एसिड की कमी-Folic Acid Deficiency Anemia Treatment.
फॉलिक एसिड की कमी प्रायः उन लोगों में होती है जिनका खानपान असंतुलित होता है और या तो वे अपने खान–पान के प्रति बिलकुल उदासीन होते हैं या उनका भोजन चाट–पकौड़ी, चाय–टोस्ट और जंक फूड तक ही सीमित होता है। इसी से कई किशोर–किशोरियाँ अनीमिया से पीड़ित हो जाते हैं।
गर्भवती महिलाओं में शरीर की बढ़ी हुई जरूरत पूरी न होने से भी यह कमी आ सकती है।
मदिरा–व्यसनियों में भी फॉलिक एसिड की कमी प्रायः पाई जाती है। फेनिटॉएन (डाइलेटिन), फिनोबार्बिटॉल (ल्यूमीनॉल) और प्राइमीडॉन (मायसोलिन) सरीखी मिरगी–रोधक दवाएँ लेते रहने से भी फॉलिक एसिड की कमी से होने वाला अनीमिया हो सकता है।
यह स्थापित कर लेने के बाद कि फॉलिक एसिड की कमी शरीर में क्यों हुई, उसकी भरपाई करने के लिए फॉलिक एसिड की गोलियाँ दी जाती हैं और खान–पान में सुधार लाना होता है। पूरा सुधार आने में प्रायः एक से दो महीने लग जाते हैं।
जिन मामलों में दवा के कारण अनीमिया पैदा होता है, उन्हें फोलिनिक एसिड की गोलियों से मदद मिल सकती है।
लेकिन फॉलिक एसिड शुरू करने से पहले इस बात की अवश्य पुष्टि की जाती है कि अनीमिया विटामिन बी. की कमी से न हुआ हो।
यह कमी भारतीय मूल के लोगों में कम पाई जाती है, लेकिन इसके होने पर इसकी भी टीके या कैप्सूल देकर भरपाई की जा सकती है।
खानपान की कौन-कौन सी चीजों में लौह तत्त्व प्रचुर मात्रा में होता है ? Food High In Iron?
शाकाहारियों के लिए हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अनाज, दालें, खासकर सोयाबीन, गुड़, काजू, बादाम, किशमिश, तिल, मूंगफली लौह तत्त्व के सबसे अच्छे स्रोत हैं।

मांसाहारियों के लिए जिगर, गोश्त, मुर्गा और मछली यह जरूरत परी करते हैं। अंडों में भी लौह तत्त्व काफी मात्रा में होता है।
बिटामिन बी और फॉलिक एसिड हमें कहाँ से मिलते हैं?Food High In Folic Acid?
गोश्त, जिगर, मछली, अंडे, दूध और पनीर विटामिन बी. के गतिक स्रोत हैं, लेकिन हमारी बड़ी आंत में उपस्थित बैक्टीरिया भी इसे निर्मित करते हैं।
पत्तेदार सब्जियों, फल, अनाज, दूध, अंडे, जिगर और गोश्त में अच्छी मात्रा में होता है।