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हेपेटाइटिस ‘ए’ या ‘पीलिया’ रोग
- हेपेटाइटिस ‘ए’ या ‘पीलिया’ रोग
- संक्रामक हेपेटाइटिस ‘ए’ या पीलया क्या है?
- हेपेटाइटिस रोग का कारण
- 1- हेपेटाइटिस ‘ए’ या पीलिया
- हेपेटाइटिस ‘ए’ या पीलिया के लक्षण
- पीलिया रोग कैसे फैलता है?
- पीलिया होने के कारण
- पीलिया के लिए टेस्ट
- पीलिया रोग का इलाज़
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पूरी दुनियाँ में 20 करोड़ से ज्यादा लोग केवल हेपेटाइटिस बी के वाइरस से ही ग्रस्त हैंI सर्वाधिक लोगो के मौत वाले दश रोगो मे से ये पांचवे नंबर पर हैI भारत में सबसे अधिक लगभग 4 करोड़ 50 लाख केवल हेपेटाइटिस-बी वाइरस के वाहक मौजूद हैंI इनमे से अलग दश वर्षो मे एक चौथाई व्यक्तियों मे हेपेटाइटिस गंभीर रूप धारण कर लेगा और इन रोगियों में से एक तिहाई को लिवर सिरोसिस हो जाएगा और ये भी बता दूँ की लिवर सिरोसिस का कोई सफल इलाज़ नही है अब तक इसलिए इससे रोगी की मृत्यु हो जाती है| हेपेटाइटिस बी और सी वाइरस कैंसर भी उत्पन्न करता है| भारत मे संक्रामक हेपेटाइटिस के 4 करोड़ 50 लाख व्यक्ति ऐसे हैं जो सावधानियों के अभाव मे अन्य लोगो को भी ये रोग फैला सकते हैं | इसलिए मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ की हेपेटाइटिस कोई साधारण समस्या नहीं है आप सभी को एसे गंभीर रूप से लेना चाहिए अगर आप इस रोग से खुद को और अपने परिवार को बचाना चाहते हैं तो कई विशेषज्ञ तो हेपटाइटिस को एड्स से भी अधिक खतरनाक मानते हैं।
संक्रामक हेपेटाइटिस ‘ए’ या पीलया क्या है?
संक्रामक हेपटाइटिस यह एक गंभीर जानलेवा संक्रमिक रोग है जिसमे प्रमुख रूप से लिवर प्रभावित होता है इस रोग के कारण लीवर मे सूजन के साथ आँखों और त्वचा मे पीलापन एवं कई अन्य समस्याएँ आ जाती हैं।
हेपेटाइटिस रोग का कारण
यह एक वाइरस से उत्पन्न होने वाला रोग है अभी तक 6 से अधिक प्रकार के वाइरस वेज्ञानिकों द्वारा खोजे गये हैं, जो अलग-अलग तरह के हेपटाइटिस उत्पन्न करते हैं। ये वाइरस इस प्रकार हैं- हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी, हेपेटाइटिस ई, हेपेटाइटिस डी इत्यादि।
1- हेपेटाइटिस ‘ए’ या पीलिया
यह संक्रामक हेपटाइटिस का एक प्रमुख प्रकार है जो हर कहीं महामारी के रूप मे फैलता रहता है। इसका कारण होता है हेपटाइटिस ए प्रकार का वाइरस जो दूषित जल या दूषित भोजन, मल इत्यादि मे होता है। ये सबसे ज्यादा दूषित जल पीने वाले लोगो मे फैलता हैं जहां-जहां सुद्ध जल पीने की व्यविस्था नहीं हैं वहाँ इसके ज्यादा लक्षण मिले हैं।
हेपेटाइटिस ‘ए’ या पीलिया के लक्षण
सुरू में इसके लक्षण अन्य बुखार जैसे ही होते हैं मरीज को थकान और कमजोरी लगती है और बुखार भी रहता है सिरदर्द,हाथ-पैर मे दर्द होता है भूंख नहीं लगती उल्टियाँ सी होने लगती। आँखों का सफेद भाग एवं त्वचा पीली पड़ने लगती हैं, हाथों और पैरों के नाखून पीले पड़ जाते हैं, पेसाब भी गहरे पीले रंग की आने लगती है जब ये रोग ज्यादा बीडी जाता है तो हथेलियाँ भी पीली दिखने लगती हैं।
पीलिया रोग कैसे फैलता है?
इससे संक्रामक व्यक्ति, इस बीमारी के वाइरस पीलिया होने के 3 सप्ताह पहले से 2 सप्ताह बाद तक मल द्वारा छोड़ता रहता है। यदि उचित साफ सफाई और मल निष्कासन की व्यवस्थाएं ठीक न हो तो वाइरस हाथो, भोजन या पानी द्वारा अन्य व्यक्ति मे पहुँच जाते हैं। इसके अलावा अन्य शारीरिक द्रवों जैसे-मूत्र, लार, रक्त, वीर्य इत्यादि मे भी होते हैं और इससे भी रोग फैल सकते हैं। रोगी मे बीमारी के लक्षण संक्रमित होने के बाद 30 से लेकर 45 दिनो के बीच मिलते हैं।
पीलिया होने के कारण
किसी भी प्रकार के लिवर इन्फ़ैकशन या हेपेटाइटिस मे आँखों और त्वचा का रंग पीला होना चेतावनी देने वाला एक प्रमुख लक्षण है यह बताता है ब्लड मे बिलिरूबिन की मात्रा का सामान्य से अथिक होना, बिलिरूबिन एक तरह का रसायन है जो शरीर मे लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के बाद लिवर मे बनता है और लिवर से जुड़े पित्ताशय मे इकठ्ठा होता है। पित्ताशय से ये नलियों द्वारा यह आंतों मे आता है। इसी के कारण मल का रंग पीला होता है।
जब लीवर की कोशिकाओं मे हेपेटाइटिस की बजह से या किसी और बजह से जब सूजन आ जाती कई कोशिकाएं मर भी जाती हैं जिसके रुकावट की बजह से बिलिरूबिन पित्ताशय मे नहीं पहुँच पता और ये बिलिरूबिन रक्त मे जाकर बिलिरूबिन स्त्तर बड़ा देता है। बिलिरूबिन मे पीले रंग का पिगनेंट होता है इसलिए इसके ज्यादा बड़ने से आंखो और त्वचा का रंग पीला दिखने लगता है।
पीलिया के कुछ अन्य कारण भी होते हैं
जैसे- पित्त की नलिका मे पथरी फशने से जब पित्त आतों मे नहीं जा पता तो पीलिया हो जाता है।
अधिक मात्र मे अलकोहल लेने से भी लिवर मे सूजन आ जाती है जिससे भी पीलिया हो जाता है।
पीलिया के लिए टेस्ट
पीलिया की सही पहचान प्रयोगशाला (लैब ) मे ही सम्भव है। इसके लिए रक्त मे सीरूम बिलिरूबिन की जांच करवाते हैं एस टेस्ट के लिए एक खून का नमूना लिया जाता जो कभी भी दिया जा सकता है। इसके अलावा पेशाब मे बाइल पिग्मेंट और बाइल साल्ट की भी जांच की जाती है।
रक्त मे एक टेस्ट और कराते है जिसे एंटी-एच ए व्ही (Anti-HAV) कहते हैं इसमे हेपेटाइटिस ए वाइरस को देखा जाता है।
पीलिया रोग का इलाज़
इस रोग की कोई विशेष दवा नहीं है डॉक्टर रोगी को पूरी तरह आराम करने की सलाह देता है। इसके लिए रोगी को विस्तर पर लेटना चाहिए केवल मल मूत्र के लिए उठना चाहिए किसी भी तरह का मेहनत का काम नहीं करना चाहिए। और एस रोग मे हल्का खाना खाना चाहिए जूस मे ग्लूकोस मिलकर लेना चाहिए
पीलिया के उपचार के लिए प्याज काफी उपयोगी है। सबसे पहले प्याज को बारीक पीस कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में काली मिर्च, काला नमक और नींबू का रस मिलाकर इसका सुबह-शाम सेवन करें।
पीलिया के रोगी को रोजाना गन्ने के जूस का सेवन करना चाहिए। इससे पीलिया से जल्दी राहत मिलती हैं।
गाजर और गोभी के रस को बराबर मात्रा में मिला लें और इसका कुछ दिनों तक रोजाना सेवन करें। ऐसा करने से पीलिया से जल्दी आराम मिलता है।
नींबू पानी भी काफी फायदेमंद साबित होता है। रोजाना एक या दो गिलास नींबू पानी का सेवन करें।
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