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गर्भधारण करना एक एक महिला के लिए बहुत खुसी का समय होता है। अपने बच्चे को जन्म से पहले किसी विकार का न होने देना। इसके लिए duable marker टेस्ट कराया जाता है
या किसी विकार की जानकारी पता करना इन सबकी जानकारी के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
आपके शिशु के विकास के लिए कई सारे टेस्ट होते है। जो गर्वावस्था के अलग-अलग टाइम पर कराये जाते हैं।

तो आज हम इसी से जुड़े एक टेस्ट Duable marker screening टेस्ट के बारे जानेगे। (CA-125 Blood Test Ovarian Cancer)
Duable Marker टेस्ट क्या है?
Duable Marker टेस्ट गर्वावस्था के पहली तिमाही (First Trimester) मे 10 से 13 सप्ताह के अंदर कराया जाता है।
इस टेस्ट का उपयोग बच्चे मे Dawn syndrome और Edwards सिंड्रोम का पता लगाने के लिए किया जाता है।
इस टेस्ट मे गर्भवती महिला के खून मे Free HCG (Human Chronic Gonadotropin Hormone) और PAPP-A (Pregnancy Associated Plasma Protein) के स्तर देखा जाता है।(HIV/aids blood test and treatment)
Dawn Syndrome किसे कहते हैं?
डाउन सिंड्रोम को ट्राइसॉमी जेनेटिक डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक कोशिका 46 क्रोमोसोम्स से बनी होती है जो कि 23 जोड़ो में होते हैं।
23 क्रोमोसोम्स के साथ एक भ्रूण को दो कोशिकाएं बनाने के लिए प्रत्येक को पूरे 46 जोड़ी (शुक्राणु और अंडाणु) को एकजुट करना होता है जो बाद में भ्रूण बन जाता है।
कुछ मामलों में, कोशिका विभाजन (Cell Division) के दौरान, गुणसूत्र की एक अतिरिक्त जोड़ी क्रोमोसोम्स जोड़े में से एक के बीच स्थानांतरित हो जाती है।
इससे दो के बजाय, तीन क्रोमोसोम्स बन जाते हैं। इसी को डाउन सिंड्रोम (Trisomy 21) कहा जाता हैं।
डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक विसंगति है जो बच्चे के सामान्य शारीरिक विकास को प्रभावित करता है।
यह बीमारी बच्चे के गर्भ में रहने के दौरान ही बन जाती है. (Visit on YouTube)
इससे ग्रस्त करीब 15% बच्चे पहले साल के अंदर ही मौत का शिकार बन जाते हैं।

जो बच्चे डाउन सिंड्रोमे के साथ जन्म लेते हैं उनमे कई सारे विकार देखने को मिलते हैं जैसे-
- असामान्य चेहरे की विशेषताएं
- तिरछी आँखें
- छोटे कान
- विकास मे रुकावट
- बौद्धिक परेशानी का होना
- सुनवाई और दृष्टि समस्या
- दोरे पड़ने
- फेफड़ों के समस्या
- उच्च रक्तचाप के खतरे का बढ़ना और दिल की बीमारी का होना
- कम मांसपेशियों
- टोन थायरॉयड समस्याएं
Edwards सिंड्रोम or Trisomy 18 क्या हैं?
एडवर्ड्स सिंड्रोम या trisomy 18 एक ऐसी स्थिति होती है जब भ्रूण डीएनए में क्रोमोसोम 18 की अन्य कॉपी इस गंभीर बीमारी का कारण बनती है।
Edwards सिंड्रोम के साथ पैदा हुए बच्चे अधिकांश अपनी प्रारंभिक अवस्था में ही मर जाते हैं।
या जो बच्चे जीवित रहते हैं वह गंभीर रूप से मानसिक विकलांग के साथ रहते हैं।
एडवर्ड्स सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। (Hepatitis A or jaundice)
एडवर्ड्स सिंड्रोम Trisomy 18 के साथ बच्चे को नियमित रूप से संक्रमण और हृदय की समस्याओं के साथ जीते हैं।
Duable Marker टेस्ट किन महिलाओं को कराना पड़ता हैं?
जो महिलायें गर्भवती होती हैं उन्हे इस Duable Marker टेस्ट से गुजरना पड़ता लेकिन ऐसा सभी गर्भवती महिलाओं के साथ नहीं होता।
जिन महिलाओ को Dawn सिंड्रोम या कोई अन्य आनुवांशिक विकारों के साथ शिशु के होने की संभावना रहती हैं। जैसे
- गर्भवती महिला की उम्र 35 बर्ष से अधिक होना
- अगर पहिला बच्चा डाउन सिंड्रोमे के साथ पैदा हुआ हो
- अगर गर्भवती महिला का वजन सामान्य से ज्यादा है
- गर्भावस्था के समय शुगर बीमारी (Diabetes) का होना (डायबिटीज कंट्रोल करने के अचूक उपाए)
- आईवीएफ़ गर्भावस्था
- पारिवारिक जन्म दोष या Dawn सिंड्रोम का इतिहास होना
Duable Marker टेस्ट को कराने के लिए क्या- क्या जरूरत होती है?
डवल मार्कर टेस्ट को कराने के लिए एक अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है जिसे हम NT & NB के नामे से जानते हैं

एनटी एनबी अल्ट्रासाउंड भी गर्भावस्था के 11 हफ्ते व दो दिन और 13 हफ्ते छह दिन के बीच कराया जाता है।
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (NT) स्कैन शिशु में केवल डाउंस सिंड्रोम होने के खतरे के स्तर को इंगित करता है।
यह आपको निश्चित तौर पर नहीं बता सकता कि आपके शिशु में यह असामान्यता है या नहीं। इसे स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में जाना जाता है।
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (NT) शिशु की गुद्दी (सिर के पीछे) की त्वचा के नीचे के नीचे एकत्रित तरल पदार्थ है।
न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन में डाउंस सिंड्रोम के खतरे को आंकने के लिए इस तरल की मोटाई या स्तर को मापा जाता है।
अगर अल्ट्रासाउंड स्कैन में सामान्य से अधिक मात्रा में तरल होने का पता चलता है, तो यह डाउंस सिंड्रोम होने का संकेत हो सकता है।
डाउंस सिंड्रोम का एक अन्य संकेत शिशु के नाक की हड्डी (Nasal Bone) का आकार है।

इस टेस्ट को कराने से पहले महिला का बजन, उसकी जन्मतिथि,उसकी लास्ट पीरियड डेट, डियाबेटिक स्टेटस, स्मोकिंग स्टेटस, और अगर टेस्ट ट्यूब बेबी है तो डोनर की जन्मतिथि आदि जरूरत पड़ती है।
इस टेस्ट को कराने के लिए एक ब्लड sample की जरूरत होती है जो पेशंट के बाजू से लिया जाता है ।
डवल मार्कर जांच के परिणाम क्या होते हैं?
Duable Marker की जांच में हॉर्मोन फ्री बीटा-एचसीजी (hCG) और प्रोटीन पैप-ए (PAPP-A) के स्तरों को मापा जाता है।
डाउंस सिंड्रोम वाले शिशुओं में एचसीजी (hCG) का उच्च स्तर और पैप-ए (PAPP-A) का कम स्तर होता है।
Normal value of Free Beta HCG and PAPP-A

जब खून की जांच को NT & NB अल्ट्रासाउंड के साथ जोड़ा जाता है, तो पहचान की दर 95% बढ़ जाती है।
Duable Marker को कम्बाइंड टेस्ट कहा जाता है। कम्बाइंड टेस्ट की फाल्स पॉजिटिव दर भी 5% प्रतिशत ही है।
इन दोनों टेस्टो को जोड़ने के बाद एक रिस्क का एक ग्राफ तैयार किया जाता है।
जिससे ये बात साफ हो जाती की आपके बच्चे को कोई जन्म दोष या down सिंड्रोम की समस्या है या नहीं है।
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