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Female infertility treatment

महिला बांझपन Female Infertility के लक्षण कारण टेस्ट और उपचार

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बाँझपन क्या है? (Infertility in Hindi)

यदि पुरुष के रोरहित होने तथा 4-6 वर्षों तक सफल दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने के उपरांत भी र्भ ठहरे तो स्त्री को बांझ‘  (Female Infertility) कहा जाता है।  यदि कई  साल तक यौन संबंध के प्रयास के बाद भी किसी महिला के गर्भधारण होने में समस्या आ रही है, तो इसका मतलब है कि उस महिला में बांझपन (Infertility Means in Hindi) की समस्या हो सकती है। गर्भधारण ना होने का कारण पुरुष बाँझपन (Male Infertility) भी हो सकता है। (Miscarriage गर्भपात के लक्षण कारण प्रकार बचाव और उपचार)

 

महिला बांझपन के कारण ( Female Infertility Causes in Hindi)

इस रोग के कई  विशेष कारण होते हैं। जैसे- 

  • स्त्री का जन्म से ही गर्भाशय न होना या गर्भाशय बहुत छोटा होना
  • कुमारी पर्दा (Hymen) बहुत मोटा और बिल्कुल बंद होना
  • योनि की नाली बिल्कुल बंद होना या उसका अंतिम भाग बंद या बहुत अधिक तंग होना
  • फैलोपियन ट्यूबों का न होना या बंद होना
  • डिम्बाशय (Ovary) का न होना या बंद होना
  • गर्भाशय का मुख बिल्कुल बंद हो जाना
  • भगद्वार के ओष्टों का आपस में जुड़ जाना
  • र्भाशय शोथ, गर्भाशय का उलट या पलट जाना
  • गर्भाशय में अत्यधिक मात्रा में चर्बी एकत्र हो जाना
  • गर्भाशय का कठोर हो जाना
  • डिम्बाशय (Ovary)  पर अप्राकृतिक झिल्ली उत्पन्न हो जाना और उसकी रचना खराब हो जाना
  • फैलोपियन ट्यूबों के झालर वाले सिरों का नष्ट हो जाना
  • उपदंश (Syphilis)
  • सुजाक (Gonorrhea)
  • श्वेत प्रदर (Blennenteria)
  • गर्भाशय के घाव और कैंसर
  • गर्भाशय में सर्दी
  • गर्मी, खुश्की और तरल की अधिकता
  • गर्भाशय में वायु एकत्र हो जाना या पानी पड़ जाना
  • गर्भाशय की बवासीर
  • हारमोन के दोष
  • मोटापा
  • रक्ताल्पता (Aneamia)
  • गर्भाशय के तरल में अधिक अम्लता या क्षारीयता उत्पन्न हो जाना
  • गर्भाशय के अन्य रोग
  • अत्यधिक मैथुन आदि।

 

महिलाओं में बांझपन के लक्षण (Infertility Symptoms in Female in Hindi)

यदि गर्भाशय के किसी अन्य रोग के कारण बांझपन हो तो स्त्री को इस रोग का ज्ञान होता है। यदि वृक्कों के ऊपर की ग्रंथियों और डिम्बाशय में रसौली हो जाए तो स्त्रियों में मर्दाना गुण उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे-

  • महिलाओं की  दाढ़ी-मूंछ के बाल निकल जाते हैं। 
  • पेट, हाथों तथा पैरों पर बहुत अधिक बाल निकल आते हैं। 
  •  स्तन छोटे और कड़े हो जाते हैं
  • मासिक Periods मंद हो जाता है
  • कामकेंद्र भगनासा (क्लाइटोरिस) बड़ा हो जाता है
  • इस रोग में स्त्री को मासिक धर्म ठीक तरह से नहीं होता
  • गर्भमार्ग में सुइयां-सी चुभती हैं तथा थोड़ा-थोड़ा दर्द भी होता है।
  • विषय भोग करते हुए भी गर्भ स्थिर नहीं रहता है।
  • बांझ स्त्री की कुचाएं कम उठी होती हैं या उठी ही नहीं होती।
  • गर्भ ग्रहण करने का मार्ग शुष्क रहता है।
  • दुर्बलता होती है।
  • आर्तव प्रवाह Menstrual Flow नहीं होता।
  • गर्भ मार्ग में खुजलाहट, जलन, फुसियां, सूजन और सुई-सी चुभती हुई अनुभव होती है।

 

महिलाओं के लिए बांझपन परीक्षण (Infertility Diagnosis in Female in Hindi)

एक महिला एक सामान्य शारीरिक परीक्षा से गुजरती है, और डॉक्टर उसके चिकित्सा इतिहास, दवाओं, मासिक धर्म चक्र और यौन आदतों के बारे में पूछेंगे।

रक्त परीक्षण: यह हार्मोन के स्तर का आकलन कर सकता है और क्या एक महिला ovulating है।

हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी (HSG): द्रव को महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है और यह निर्धारित करने के लिए एक्स-रे लिया जाता है कि क्या द्रव गर्भाशय से बाहर और फैलोपियन ट्यूब में ठीक से यात्रा करता है या नहीं। यदि एक रुकावट मौजूद है, तो सर्जरी आवश्यक हो सकती है।

Hysterosalpingogram test for female infertility
Hysterosalpingogram test for female infertility

लैप्रोस्कोपी: अंत में एक कैमरे के साथ एक पतली, लचीली ट्यूब को पेट और श्रोणि में डाला जाता है, जिससे डॉक्टर को फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और अंडाशय को देखने की अनुमति मिलती है। यह एंडोमेट्रियोसिस, स्कारिंग, ब्लॉकेज और गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की कुछ अनियमितताओं के संकेतों को प्रकट कर सकता है।

डिम्बग्रंथि आरक्षित परीक्षण (Ovarian Reserve test) यह पता लगाने के लिए कि ओव्यूलेशन के बाद अंडे कितने प्रभावी हैं

आनुवंशिक परीक्षण-यह देखने के लिए कि क्या एक आनुवंशिक असामान्यता प्रजनन क्षमता में हस्तक्षेप कर रही है

TVS अल्ट्रासाउंड- गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय की एक छवि का निर्माण करने के लिए.

क्लैमाइडिया परीक्षण-जो एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता का संकेत दे सकता है

थायराइड फंक्शन टेस्ट- क्योंकि यह हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकता है

महिला बांझपन के इलाज (Female Infertility Treatment in Hindi)

यदि स्त्री को जन्म से कोई दोष हो तो, उसकी चिकित्सा नहीं हो सकती, अतः समय और धन की र्बादी करें। 

अन्य गर्भाशय रोगों के कारण बांझपन हो तो उनको दूर किया जा सकता है। जैसे- 

  • सर्वप्रप्रदर (मासिक र्म) संबंधी विकारों को दूर करें,
  • श्वेप्रदर हो तो उसकी चिकित्सा करें
  • गर्भाशय के ताल में अम्लता या क्षारीयता की अधिकता हो तो चिकित्सा से सको दूर कर लें
  • यदि थायराइड ग्लैंड में तरलता कम होने के कारण रोग हो तो उसकी चिकित्सा करें
  • यदि गर्भाशय की गर्दन तंग हो तो शल्यक्रिया करवाकर उसको चौड़ा कराएं।
  • एलोपैथिक चिकित्सक इस रोग की आजकल विटामिन ई से चिकित्सा करते हैं, क्योंकि इस विटामिन की कमी के कारण भी गर्भ नहीं ठहरता। इसका प्रयोग स्त्री तथा पुरुष में से एक या दोनों को किया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त कई प्रकार के हार्मोन फोलिक्यूलर या लियूटियल आदि का भी प्रयोग करते हैं।

 

Female infertility symptoms
Female infertility symptoms

स्त्री की योनि के तरल में जब अम्लता बढ़ जाती है तो शुक्रकीट अम्लता के कारण नष्ट हो जाते हैं, इस कारण से भी गर्भ नहीं ठहरा करता, ऐसी परिस्थिति में सोडियम फास्फेट 50 भा, अंडे की सफेदी 1 भाग, पानी 1 हजार भाग मिलाकर लोशन तैयार करें तथा इससे योनि में पिचकारी से भली प्रकार सफाई कराएं

इस सॉल्यूशन के प्रभाव से वीर्य कीट 12 दिनों तक जीवित रह सकते हैंयोनि स्राव की अम्लता दूर करने के लिए सोडाबाईकार्ब एक चाय का चम्मच-भर लेकर एक सेर पानी में घोलकर सहवास से पूर्व योनि में डूश कराएं। 

In Vitro Fertilization (IVF)

IVF – इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) की एक तकनीक है। आई वी एफ की प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से अंडे को निकालकर, उसे पुरुष के शुक्राणु के साथ लैब में फर्टिलाइज़्ड किया जाता है। फर्टिलाइज़्ड होने के बाद तैयार हुए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।

डोनर एग के साथ आई वी एफ

इसकी सलाह उन मामलों में दी जाती है जहाँ महिला के स्वस्थ अंडों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है। इस प्रक्रिया में एक महिला डोनर के अंडाशय (ओवरी) से अंडे प्राप्त किए जाते हैं।

अंडे प्राप्त करने से पहले पूरी तरह से महिला डोनर की जांच की जाती है। और फिर महिला के पति के शुक्राणु के साथ अंडे को निषेचित (फर्टिलाइज़्ड) किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण को गर्भाशय (यूटेरस) में ट्रांसफर किया जाता है।

IUI

अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान यानि इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन उपचार एक सरल प्रक्रिया है, जिसमें शुक्राणु को लैब में साफ़ करने के बाद ओव्यूलेशन के समय महिला साथी के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। जिससे शुक्राणु के अंडे के साथ फर्टिलाइज़्ड होने की संभावना बढ़ जाती है।

लेप्रोस्कोपी

इस प्रक्रिया में एक लेप्रोस्कोप (सर्जिकल उपकरण) का उपयोग किया जाता है, जिसमें कैमरा और लाइट होती है। लैप्रोस्कोपी का उपयोग एंडोमेट्रियोसिस के इलाज और गर्भाशय में सिस्ट को हटाने के लिए किया जाता है।

 

बांझपन को दूर करने के घरेलू उपचार। (Home Remedies for Infertility in Hindi)

गाजर

  • गाजर के बीजों की धूनी इस प्रकार दें कि धुआं बच्चेदानी तक चला जाए। जलते हुए कोयलों पर गाजर के बीज डालें। इससे धुआं होगा। इसी धुएं की धूनी दें तथा नित्य गाजर का रस पिएं । इस प्रयोग से बांझपन दूर होता है।

लहसुन

  • प्रातः लहसुन की 5 कली चबाकर दूध पिएं। यह प्रयोग पूरे सर्दी के मौसम भर नियम से करें। बंध्यत्व (बांझपन) दूर होगा।

तुलसी

  • यदि किसी स्त्री को मासिक धर्म ठीक होता हो, परंतु गर्भ न ठहरता हो तो मासिक धर्म के दिनों में तुलसी के बीज चबाने से अथवा पानी में पीसकर पीने या काढ़ा बनाकर सेवन करने से गर्भधारण होता है। यदि गर्भधारण न हो तो यह प्रयोग 1 वर्ष तक करें। इस प्रयोग से गर्भाशय निरोग एवं सबल होकर गर्भधारण करने योग्य हो जाता है।

केसर

  • केसर और नागकेसर को 4-4 माशा मिलाकर चूर्ण बना लें। इसकी 3 पूड़िया मासिक धर्म के तुरंत बाद खाने से गर्भाधान होता है।

असगंध

  • असगंध का चूर्ण 3 से 6 माशा तक मासिक धर्म के प्रारंभ में खाने से गर्भधारण होता है।

गेहूं

  • आधा कप गेहूं को 12 घंटे पानी में भिगोएं। फिर गीले मोटे कपड़े में बांधकर 24 घंटे रखें। इस प्रकार इस गेहूं में 36 घंटे में अंकुर निकल आएंगे। इस अंकुरित गेहूं को बिना पकाए ही खाएं। हां स्वाद के लिए गुड़ अथवा किशमिश मिलाकर खाया जा सकता है। यह प्रयोग पुरुषों की नपुंसकता और स्त्रियों के बांझपन में अपूर्व लाभकारी है। केवल संतानोत्पत्ति के लिए 25 ग्राम अंकरित गेहूं 3 दिन और फिर इतनी ही मात्रा में 3 दिन अंकुरित उड़द क्रम से खाने से (कुछ ही महीनों के प्रयोग से) इच्छा पूर्ण होती है। गेहूं के अंकुर अमृत के समान हैं। यह विटामिन E’ से भरपूर स्वास्थ्य एवं शक्ति का प्राकृतिक भंडार है। इसमें शरीर की रक्षार्थ समस्त आवश्यक विटामिन प्रचुर मात्रा में समाहित हैं। गेहूं के अंकर खाने से समस्त रोग दूर हो जाते हैं।

फिटकरी

  • मासिक धर्म में कोई भी शिकायत न होने पर भी यदि गर्भधारण न होता हो तो साफ-स्वच्छ रुई के फोहे में पिसी हुई फिटकरी लपेटकर पानी में भिगोकर रात के समय (सोते समय) योनि में रखें। सुबह जब आप इस फोहे को बाहर निकालेंगी तो रुई पर चारों ओर दूध जैसी खुरचन जमी हुई होगी। फोहा तब तक निरंतर रखा जाता रहे, जब तक कि दूध जैसी खुरचन आना बंद न हो जाए। जब खुरचन न आए तो समझें कि बांझपन रोग समाप्त हो गया।

सौंफ

  • बंध्या स्त्री यदि 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ 3 महीने तक सेवन करे तो निश्चित रूप से गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है। यह कल्प मोटी स्त्रियों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद है। यदि स्त्री दुबली-पतली हो तो उसमें शतावरी चूर्ण मिलाकर देना चाहिए। 6 ग्राम शतावरी मूल का चूर्ण 12 ग्राम घी और दूध के साथ खाने से गर्भाशय की समस्त विकृतियां दूर होती हैं और गर्भ स्थापित होता है। ऐसा आयुर्वेदीय पुस्तकों में अनेक स्थानों पर लिखा है।

अजवायन और मिसरी

  • मासिक धर्म के प्रारंभ से 8 दिन तक नित्य अजवायन और मिसरी 25-25 ग्राम लेकर 125 ग्राम जल में रात्रि को मिट्टी के बरतन में भिगो दें और प्रातःकाल टंडाई की तरह पीसकर पिएं। पथ्य में मूंग की दाल और रोटी (बिना नमक की) खाएं। इस प्रयोग से गर्भधारण होता है।प्रसूतावस्था में गुड़ और अजवायन देने से कमर का दर्द मिटता है। गर्भाशय की शुद्धि होती है। रक्त साफ आता है। भूख लगती है तथा बल बढ़ते हैं। दर्द व रुककर आने वाले मासिक धर्म में भी इससे लाभ होता है। रुके हुए रक्त को खुलकर लाने के लिए 6 ग्राम अजवायन का चूर्ण गर्म दूध से दिन में 2 बार देना चाहिए।

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