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Gonorrhea Treatment in hindi

सुजाक Gonorrhea के लक्षण कारण टेस्ट और उपचार

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सुजाक (गोनोरिया) क्या है What is Gonorrhea?

सुजाक रोग से ग्रस्त व्यक्ति के साथ सहवास करने से एकदूसरे में यह रोग हो जाता हैयह पूमे हाणुGonococcous नामक कीटाणु से उत्पन्न होता है

यह रोग पुरुषों की मूत्रनली के एक इंच पीछे एक ड्ढे से धीरेधीरे बढ़कर मूत्रनली, मत्राशय और अंडकोषों तक फैल जाता है

स्त्रियों में उनकी योनि के समीप वाले यंत्र तथा मूत्रनली, मूत्राशय, जरायु आदि पहले रोगाक्रांत होते हैं

स्त्री तथा पुरुष दोनों को यह रोग हो सकता है, किंतु स्त्रियों के मूत्रमार्ग के बहुत छोटा होने से उनको अधिक कष्ट नहीं होता।  (Visit on YouTube)

 

सुजाक के कारण Causes of Gonorrhea?

गोनोरिया या सूजाक (Gonorrhea) एक यौन संक्रमित जीवाणु के कारण एक संक्रमण है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को संक्रमित कर सकता है|

सूजाक (Gonorrhea) अक्सर मूत्रमार्ग, गुदाशय या गले को प्रभावित करता है| मादाओं में, गोनोरिया गर्भाशय को भी संक्रमित कर सकता है|

सूजाक या गोनोरिया (Gonorrhea) सेक्स के दौरान सबसे अधिक फैलता है| लेकिन अगर उनकी मां संक्रमित होती हैं, तो बच्चों को प्रसव के दौरान संक्रमित किया जा सकता है| बच्चों में, गोनोरिया आमतौर पर आंखों को प्रभावित करता है|

सुजाक कीटाण से ग्रसित वेश्या या किसी स्त्री से संभोग करने पर रोग का कीटाणु शिश्न के छिद्र से होकर अंदर मूत्रमार्ग में प्रविष्ट होकर और वहां अपनी संख्या में निरंतर वृद्धि कर मूत्रपथ की भीतरी भित्ति को काटकाट कर खाने लगते हैंइसी कारण पूय (pus) का निर्माण होता है

रोगी पुरुष जिस स्त्री से संभोग करता है, उसको भी सूजाक हो जाता हैतः वह रोगी स्त्री को गर्भ ठहराने में असमर्थ हो जाता हैइससे जोड़ों का सूज जाना, रक्त 

मिश्रित मूत्र आना, अंडों का सूज जाना जैसे भयानक रोग हो जाते हैंरोग पुराना हो जाने पर पुराना सूजाक लालामेह(ग्लीट) कहलाता है जो वर्षों तक रोगी को परेशान किए हता है

 

सुजाक के लक्षण Symptoms of Gonorrhea?

सूजाक वाले पुरुष या स्त्री के साथ सहवास करने के कई दिन बाद रोगी को पेशाब में जलन अनुभव होती है, खुजली होती है और क्रमशः मूत्रमार्ग में प्रदाह होकर पीप जैसा स्राव निकलने लगता हैयह स्राव चमकीला, पीला या हरे रंग का होता है

जलथा दर्द बढ़ता जाता है तथा बारबार पेशाब की हाजत बनी रहती हैपेशाब करते समय अत्यधिक पीड़ा वं जलन होती हैपेशाब साफ नहीं होता और बूंदबूंद करके होता रहता है

सुजाक के लक्षण

इन लक्षणों के तिरिक्त हरारत, जाड़ा या कंपकंपी तथा सिर में दर्द भी होता है

लिंग में कड़ापन होने से रात में अच्छी नींद हीं आती, फिर जैसेजैसे यह बीमारी पुरानी होती जाती है, वैसेवैसे इस रोग का प्रधान लक्षण (जलन और दर्द) कम होता जाता है, किंतु पीप का स्राव चालू रहता है

Gonorrhea symptoms
Gonorrhea Symptoms

पुराना होने पर पीप गोंद की तरह सफेद और लसीला हो जाता हैपीप की इस पुरानी अवस्था को लालमेहया ग्लीटकहते हैं

कई रोगियों को सबसे पहले मूत्र के छेद में मामूलीसी खराश और खुजली होती है और पूय-सी निकलती है, धीरे-धीरे रोगी का मूत्र-मार्ग सूज जाता है। पूय की अधिकता के कारण मूत्र धुएं की भांति या धुंधला होता है। लिंग में इतना दर्द होता है कि कपडा छ जाने से भी रोगी तड़प उठता है।

रात के समय निद्रावस्था में रोगी का लिंग उत्तेजित हो जाने पर उसको तड़पा देने वाला दर्द होता है। इस कष्ट को कोर्डी (Chordee) या ‘संकट शिश्नोत्थान’ कहते हैं।

5-6 सप्ताह के बाद पूय आनी बंद हो जाती है, मूत्र भी साफ हो जाता है, किंतु मूत्र में पूय के तंतु साफ दिखाई पड़ते हैं। पूय मात्रा में कम केवल प्रातः समय पहली बार मूत्र करते समय आती है।

मूत्रमार्ग में घाव रेशा उत्पन्न होकर मूत्रमार्ग अंदर से सिकुड़कर बंद हो जाता है जिससे मत्र बड़ी कठिनाई से आता है

कई बार स्त्री की योनि तंग या सफेद प्रदर आने या खुश्क होने, योनि में सूजन होने से तथा ऐसी अवस्था में उसके साथ संभोग करने से भी उपरोक्त लक्षण हो जाते हैं।  पूय (Pus) भी आने लगती है। तब इस रोग को सादा मूत्रमार्ग शोथ Simple Urethritis कहा जाता है।

 

सुजाक का परीक्षण Diagnosis of Gonorrhea in Hindi?

यह रोग संभोग करने के तीसरे से पांचवें दिन, रंतु कई रोगियों में 23 सप्ताह के बाद होता है

सूजाक रोग का पूर्ण प्रमाण मूत्र रक्त की परीक्षा करने और उसमें सूजाक के कीटाणु होने पर ही मिलता है

सूजाक के कीटाणु कॉफी के बीज सदृश या मनुष्य के वृक्क के आकार के बहुत ही छोटेछोटे जो अनुवीक्ष्ण यंत्र (Microscope) से दिखाई पड़ते हैं

Test Name-NEISSERIA GONORRHEA, PCR QUALITATIVE

 

सुजाक के जोखिम और जटिलताएँ। Gonorrhea Risk & Complication?

नया सूजाक एक सप्ताह में उचित चिकित्सा व्यवस्था से ठीक हो जाता हैयदि रोग पुराना पड़ जाए तो गठियाहो जाता हैआंख पर हमला हो तो आंख नष्ट हो जाती हैप्रसव के समय सूजाक का जहबच्चे की आंख में लग जाए तो बच्चा अंधाहो जाता है

 

सुजाक के लिए घरेलु उपचार Home remedies for Gonorrhoea in Hindi

  • फालसा शरीर के दूषित मल को बाहर निकालता हैमस्तिष्क की गर्मी और खुश्की को दूर करता हैहृदय, आमाशय, यकृत को शक्ति प्रदान करता हैकब्ज दूर करता हैमूत्र की जलन, सूजाक और स्त्रियों के श्वेप्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभदायक हैअच्छे पके हुए फालसे खाएंइससे रक्त बढ़ता हैअरुचि दूर होती हैआमाशय छाती की गर्मी, बेचैनी, वीर्य दोष और स्वप्नदोष के रोग में लाभ होता है
  • सूजाक में मूत्र त्याकरते समय जलन होती हैबड़े कष्ट से बूंदबूंद करक पशाब होता हैरोगी कष्ट के कारण मर जाना अधिक पसंद करता हैएसा दशा में 6 ग्राम पिसी हुई फिटकरी, 1 गिलास जल में घोलकर रोगी को कुछ दिन पिलाने से रोग दूर हो जाता है
  • गेरू और शक्कर 2-2 तोला लेकर रात को आधा किलो जल में भिगो दें। प्रातःकाल इसे घोटकर पीने से 3 दिन में सूजाक रोग मिट जाता है।
  • कबाब चीनी का चूर्ण 6 माशा और फिटकरी 1 माशा मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से सूजाक व प्रमेह रोग मिट जाते हैं।
  • यदि किसी दवा से लाभ न हो तो काले गधे का मूत्र 1 तोला 6-7 दिन तक पीने से सूजाक में लाभ होता है।

घरेलू उपचार Home Remedies

  • 3 ग्राम रेवंद चीनी का चूर्ण सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से पुराने से पुराना सूजाक भी मिट जाता है।
  • केले के तने में से 250 ग्राम रस निकालकर मिसरी मिलाकर पीने से सूजाक मिट जाता है।
  • 2 माशे फूली हुई फिटकरी को छाछ के साथ लेने से सूजाक मिट जाता है
  • सूजा(लिंगेन्द्रिय में घाव) हो तो 88 ग्राम पिसी हुई हल्दी की फंकी पानी के साथ नित्य 3 बार लेने से घाव में लाभ होता है
  • भुनी हुई फिटकरी और गेरू समान मात्रा में लेकर उसकी दोगुनी शक्कर मिलाकर रख लेंइसे 7 माशे की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवकरने से सूजाक मिट जाता है
  • 1 रत्ती त्रिबंग भस्म और कबाब चीनी मक्खन अथवा लाई में मिलाकर खाने से सूजाक मिजाता हैचाहें तो इसमें शक्कर भी मिला सकते हैं
  • बकरी के दूध की लस्सी के साथ 3 माशा अजवायन लेने से सूजाक रोग ठीक हो जाता है।
  • गेंदे का स्वरस पीने से सूजाक रोग मिटता है
  • गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से सूजाक मिट जाता है।

 

सुजाक मे क्या खाना चाहिए ?What to eat during Gonorrhea in Hindi?

  • उपदंश की विकृति जीवाणुओं के संक्रमण से होती है इसलिए रोगी को पने यौनांगों की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए
  • दिन में दोतीन बार डिटोल मिले जल से यौनांगों को स्वच्छ करना चाहिए
  • नीम के पत्तों को जल में उबालकर भी यौनांगों को स्वच्छ कर सकते हैं
  • उपदंके रोगी को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिजिससे रक्त षित होता है
  • उष्ण मिर्चमसालों और चटपटे, अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थ रक्त को दुषित करके धिक हानि पहुंचा सकते हैं
  • रोगी को प्रातः भ्रमण करने के लिजाना चाहिएशुद्ध वायु के शरीर में पहुंचने से रक्त शुद्ध होता है
  • रोगी को धूलमिट्टी पड़ी, बाजार में खुली रखी चीजों को बिल्कुनहीं खाना चाहिएदूषित और बासी भोजन भी बहुत हानि पहुंचाता है

 

 

 

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