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माइग्रेन से बचने के अचूक उपाए

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माइग्रेन क्या है?  

सिर में तूफान की तरह उठकर एकदम पस्त कर देने वाला माइग्रेन आधे सिर का पूरा दर्द है। बचपन या बालिग उम्र में शुरू होकर अधेड़ उम्र तक यह निर्दयी बार-बार अपने तेवर दिखाता है और जीवन को  कुछ घंटो मे बिलकुल चौपट कर जाता है। मन करता है कि बस्स सिर  पर पट्टी बाँध किसी अंधेरे कमरे में अकेले ही लेटा रहा जाए यह तूफान जल्द से जल्द गुजर जाए। पर उसके पैर यदि बार-बार उठने लगें, तो उससे बचने के उपाय करना जरूरी हो जाता है। छोटी-छोटी एहतियातें और कुछ खास दवाएँ लेकर माइग्रेन को नियंत्रण में लाया जा सकता है।

  • माइग्रेन क्या है?
  • क्या माइग्रेन एक आम रोग है?
  • माइग्रेन की पहचान क्या है ?
  • यह किस कारण होता है ?
  • माइग्रेन के क्या-क्या लक्षण हैं ?
  • माइग्रेन के रोगी को जीवन में क्या-क्या परहेज करने चाहिए ?
  • माइग्रेन का इलाज क्या है ?

क्या माइग्रेन एक आम रोग है?

हाँ, यह रोग बीस से तीस प्रतिशत लोगों में होता है, जिसमें से अधिकांश महिलाएँ होती हैं। पुरुषों की गिनती चार में से सिर्फ  एक ही होती है। दर्द का पहला दौरा या तो बचपन में या किशोर या बालिग होने पर पड़ता है और फिर यह जब-तब उठा रहा है चालीस – पचास की उम्र तक यह सिलसिला इसी प्रकार चलता रहता है । फिर उसकी तीव्रता और दर घटने लगती है-जैसे कि उम्र के साथ रोग भी ढल चला हो!

माइग्रेन की पहचान क्या है ?


माइग्रेन सिर में उठने वाला खास तरह का दर्द है। यह अक्सर आधे और कभी-कभी पूरे सिर में उठता है। इसकी पीड़ा असहनीय होती है-लगता है कि सिर दर्द के मारे फड़क रहा है और जैसे उस से फट ही जाएगा। दर्द के साथ-साथ जी भी कच्चा होता है और उल्टी भी हो सकती है।
दर्द की एक बड़ी पहचान यह भी है कि यह कुछ ही देर के लिए रहता है और कुछ घंटों या एक-दो दिन तक कष्ट देने के बाद बिलकुल साफ हो जाता है। परंतु इस प्रकार के दौरे जब-तब कभी भी उठ खड़े होते हैं, जिनसे जीवन तकलीफ-भरा हो जाता है।

यह किस कारण होता है ?

माइग्रेन की उपज मस्तिष्क की रक्त-धमनियों में असंतुलन आने से जुड़ी है। ‘दौरे के शुरू में धमनियाँ जरा देर के लिए सिकुड़ जाती हैं जिससे मस्तिष्क में खून का दौरा घट जाता है। पर फिर तुरंत ही धमनियाँ फूल जाती हैं, जिससे उनके साथ सटी हुई पीड़ा संवेदी तंत्रिकाओं पर खिंचाव पड़ता है और दर्द पैदा हो जाता है।

सिर की धमनियों में यह उथल-पुथल किन कारणों से पैदा होती है ?

तेज रोशनी, शोर, दिमागी परेशानी, थकान, मदिरा-इनमें से कोई भी एक तत्त्व माइग्रेन पीड़ित के लिए दौरे की जड़ बन सकता है। पर कई व्यक्तियों में यह फसाद कुछ खास चीजें खा-पी लेने से ही पैदा हो जाता है। इन चीजों में कुछ ऐसे जैविक रसायन उपस्थित होते हैं कि माइग्रेन-पीड़ित व्यक्ति का शरीर प्रतिक्रिया कर उठता है। महिलाओं में मासिक धर्म से हफ्ते-भर पहले हॉमोनल पर होने से भी माइग्रेन धावा बोल सकता है। कुछ महिलाएं हर इस विपत्ति से गुजरती हैं और परेशानी पाती रहती है।

माइग्रेन के क्या-क्या लक्षण हैं ?

माइग्रेन में कई तरह के लक्षण प्रकट हो सकते हैं उसका शास्त्रीय रूप-क्लासिकल माइग्रेन-या तो आँखों के आगे रंग-बिरंगे तारे, टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दिखने, या अँधेरा-सा छा जाने, या घुमेरी आने
कान में धू-धू की आवाज सुनाई देने से शुरू होता है। कई व्यक्तियों को दौरा शुरू होने से कुछ घंटे पहले मन के सागर में ज्वार-भाटा आता मालूम पड़ता है। मन या तो अचानक बिलकुल उदास हो जाता है और सुस्ती छा जाती है या प्रमत्त हो उठता है। और एक साथ शरीर में इतनी ऊर्जा महसूस होने लगती है कि आसमान से तारे तोड़ पाना भी मुश्किल नहीं लगता। ऐसे में कुछ को जोर की प्यास भी लगती है और अचानक मीठा खाने को जी करता है। फिर कुछ घंटे बाद दृष्टि या ऋतु संबंधी लक्षण उभरते हैं और सिर में दर्द शुरू हो जाता है। | सामान्य माइग्रेन में शुरूआत सिर के दर्द से ही होती है और साथ में जी कच्चा होता है और कभी उल्टी भी हो जाती हैं।
लेकिन कई लोगों में माइग्रेन अपना अलग ही रूप ले लेती है। उसके साथ कई तरह के अस्थायी शारीरिक लक्षण भी उभरते हैं। होंठ, चेहरा, हाथ या पैर सुन्न पड़ जाते हैं और उनमें सरसराहट अनुभव होती है। कुछ में लक्षण इससे भी उग्र होते हैं और लगता है कि जैसे अधरंग हो चला है। हाथ-पैर शक्तिहीन हो जाते हैं, जबान लड़खड़ा जाती है। पर चंद मिनट या आधे-एक घंटे बाद लक्षण अक्सर पूरी तरह मिट जाते हैं। | अब सिर में दर्द शुरू होता है। यह पहले-पहल एक बिंदु पर केंद्रित रहता है। फिर फैलते-फैलते सिर के आधे भाग में फैल जाता है। कभी इसे इतने पर भी सब्र नहीं आता और पूरे सिर को ही अपने कब्जे में कर लेता है। दर्द की तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ती है। और दवा न लेने पर दर्द कई घंटे या एक-दो दिन तक भी सता सकता है।

माइग्रेन के रोगी को जीवन में क्या-क्या परहेज करने चाहिए ?

यही कि जिन चीजों से माइग्रेन का दर्द उठता है, उनसे बचकर रैहें। चॉकलेट, चीज, शेरी, रेड वाइन जैसी चीजें-जिनमें टायरामिन प्रचुर मात्रा में होता है-त्याग-योग्य हैं। सिरके में लगी चीजें जस अचार, चाइनीज़ फूड जिसमें मोनोसोडियम ग्लुटामेट हो, और पक हुए केलों का भी परहेज उचित है।
तेज रोशनी और शोर से बचे रहने की भी पुरे जोर कोशिश रहना चाहिए। डिस्को, डांस पार्टी और माँ का जागरण’ किसी को भी का दर्द दे सकते हैं।

माइग्रेन का इलाज क्या है ?

दर्द के समय आराम पहुँचाने वाली दवा ही सबसे जरूरी होती है। साधारण पीड़ा-निवारक दवाएँ जैसे पेरासिटामोल, निम्यूलिड, एपीसी, ब्रुफेन दर्द के शुरू होते ही ले लेने से फायदा करती हैं और उसे अधिक तीव्र होने से रोकती हैं। अगर इनसे बात नहीं बनती हो, तो माइग्रेन की खास दर्द-निवारक दवा अरगोटामिन डॉक्टरी सलाह से सही मात्रा में ली जा सकती है। पर गर्भवती महिलाओं और उच्च रक्तचाप व हृदय रोग के रोगियों को यह नहीं दी जा सकती दवा देने के साथ-साथ दौरे से छुटकारा पाने के लिए पूरा-पूरा

आराम भी अनिवार्य होता है। सिर पर पट्टी बाँधने से राहत मिलती है और अँधेरा कमरा और एकात भी मन को सुहाता है। | दर्द के शुरू में यदि दवा न ली जाए तो दर्द प्रायः बहुत तेज हो जाता है। तब दर्द-निवारक दवाएँ काम की नहीं रहतीं और प्रोमथाजिन या मेपरडिन लेनी पड़ सकती है।

जिन मरीजों को महीने में चार से ज्यादा बार दर्द उठता है, उनमें माइग्रेन की रोकथाम की दवा आजमा कर देखना जरूरी हो जाता है। प्रोप्रेनोलॉल, डॉक्सीपिन, एमीट्रिप्टालिन, और रेसरपिन जैसी दवाएँ डॉक्टरी देखरेख में नियमित रूप से लेने पर दौरों की उग्रता और फ्रीक्वेंसी को कम किया जा सकता है।


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