Quadruple Marker टेस्ट रिज़ल्ट से क्या पता लगता है
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Quadruple Marker Test क्या है?
Quadruple marker टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है जो गर्भावस्था के दूसरे तिमाही मे कराया जाता है।
इसे second trimester के नामे से भी जाना है। यह टेस्ट गर्भवती महिला के गर्भावस्था की स्वास्थ्य की उपयोगी जानकारी प्रदान करता है तथा उसके होने वाले बच्चे को कोई आनुवांशिक बीमारी trisomy 21 (down syndrome) तो नहीं है उसकी जानकारी प्रदान करता है।
Quadruple test कितने हफ़्तो मे कराया जाता है?
Quadruple Marker टेस्ट दूसरी तिमाही यानी 14 से 22 हफ़्तो मे कराया जाता है। इसके लिए अगर ideal समय की बात करें तो इसे 15 से 20 हफ़्तो मे कराना ज्यादा अच्छा होता है। (Dual मार्कर टेस्ट)
Is quadruple marker test Necessary? क्या इस टेस्ट को करना जरूरी होता है?
देखिये ऐसा जरूरी नहीं है की सभी गर्भधारण महिलाओं को ये टेस्ट करना जरूरी हो।
ये उन महिलाओ को कराना पड़ता है।
- जिनकी उम्र 35 साल से ज्यादा हो ( रूमेटाइड आर्थराइटिस लक्षण घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज)
- जिन महिलाओं का वजन काफी ज्यादा हो। (मोटापा कम करने के उपाय)
- डाउन सिंड्रोम का कोई पारिवारिक इतिहास हो।
- शुगर की रोगी हो जो इंसुलिन ले रही हो।
- गर्भावस्था के दौरान वायरल से संक्रमत हुईं हो।
- या जिन महिलाओं को कभी radiation therapy की जरूरत पड़ी हो।
- या जिन महिलाओं ने first trimester dual टेस्ट न कराया हो।
Quadruple टेस्ट से क्या पता चलता है?
Human chorionic Gonadoprotein (HCG)

एचसीजी एक हार्मोन है जो नाभि से बना होता है और ये गर्भवती महिला के रक्त और मूत्र में जारी होता है।
HCGभ्रूण आरोपण (Fetal implantation) के बाद तेजी से बढ़ जाता है। यह गर्भावस्था के 14 वें सप्ताह में अधिकतम और फिर धीरे-धीरे कम हो जाता है।
एचसीजी बच्चे के विकास में मदद करता है।
एचसीजी के उच्च स्तर
- एकाधिक गर्भावस्था (Twins Pregnancy)
- Molar गर्भावस्था
एचसीजी के कम स्तर
- गर्भावधि उम्र अनुमानित उम्र से कम है।
- अस्थानिक गर्भावस्था। यह एक ऐसी गर्भावस्था है जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बाहर विकसित होता है।
- गर्भपात की संभावना का होना।
अल्फ़ा फेटो प्रोटीन (AFP)
अल्फ़ा फिटोप्रोटीन भ्रूड़ के लिवर में बनने वाला एक प्रोटीन है।
अल्फा-भ्रूणप्रोटीन (एएफपी) भ्रूण सीरम और एमनियोटिक द्रव दोनों में पाया जाता है।
यह प्रोटीन भ्रूण की जर्दी थैली (yolk sac ) द्वारा और फिर बाद में यकृत और जठरांत्र संबंधी (gastrointestinal tract ) मार्ग से गर्भ में उत्पन्न होता है।
एएफपी के उच्च स्तर (High level of AFP ) – का मतलब हो सकता है कि विकासशील बच्चे में एक तंत्रिका ट्यूब (Neural Tube defect ) दोष है जैसे कि दरार युक्त रीढ़ की हड्डी (स्पाइना बिफिडा) या ऐसा जन्म दोष है जिसके कारण बच्चे का जन्म उसके मस्तिष्क और खोपड़ी के हिस्से के बिना होता है जिसे एनेस्थली कहते हैं।
कम एएफपी (Low level of AFP )– कम एएफपी के साथ एक Positive Results का मतलब डाउन सिंड्रोम या एडवर्ड्स सिंड्रोम जैसी समस्या हो सकता है।
एस्ट्रियल (Estriol )
एस्ट्रोइल एक हार्मोन्स है जिसे एस्ट्रोजन के नाम से भी जाना जाता है। Estriol भ्रूण के लीवर और नाभि में बनता है।
गर्भावस्था के पहले 9 सप्ताह में Estriol पाया जा सकता है और इसका स्तर Delivery समय तक बढ़ता रहता है।
इस हार्मोन्स का स्तर गर्भास्था के दौरान एक गर्भवती महिला के खून और यूरिन में मापा जाता है।
यदि एक गर्भवती महिला में Estriol का स्तर असामान्य रूप से कम है, तो यह क्रोमोसोमल या जन्मजात विसंगतियों जैसे डाउन सिंड्रोम Trisomy 21 या एडवर्ड सिंड्रोम Trisomy 18 का संकेत दे सकता है।
Inhibin A
यह एक हार्मोन है जो नाभि द्वारा बना होता है। एक सामान्य परिणाम का मतलब है कि Inhibin का स्तर कम और नकारात्मक है।
अगर Inhibin A का स्तर अधिक है, तो बच्चे में डाउन सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।
Quadruple marker टेस्ट के लिए क्या requirement होती है?
इस टेस्ट के लिए कोई प्री- कंडीशन नहीं होती इस टेस्ट को आप कभी भी करा सकते हैं
इसके लिए गर्भवती महिलाओं को गर्वावस्था के दौरान कराये जाने वाले अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट लैब में टेस्ट करने के दौरान दिखानी पड़ती और साथ में कुछ और भी जानकारी देनी होती है।
जैसे अपनी जन्म तिथि, वजन, मधुमेह रोग से ग्रस्त है या नहीं है, कोई धूम्रपान करते या नहीं करते, अगर Pregnancy IVF से है तो donor की जन्म तिथि इतियादी। (YouTube पर विडियो देखें)
Quadruple Marker टेस्ट कैसे किया जाता है?
यह एक साधारण खून की जांच है इसके लिए रोगी के बाजू से एक रक्त का नमूना लिया जाता है।
Quadruple marker test normal values क्या होती है?
इस टेस्ट की रिज़ल्ट की बात करें तो इस टेस्ट का रिज़ल्ट गर्भावस्था के समय पर निर्भर करता है।
नीचे मैंने एक टेबिल दी हुई है जिसके माध्यम से आप इसके रिज़ल्ट को अच्छे से समझ पाएंगे।

ये Quadruple टेस्ट की रिस्क टेबल इसकी मदद से एक रिस्क चार्ट तैयार किया जाता है।

Note- Second trimester screening for Prenatal disorders (Trisomy 21 & 18 and Open Neural Tube defects) is essential to identify those women at sufficient risk for a congenital anomaly in the fetus to warrant further evaluation and followup. These are screening procedures which cannot discriminate all affected pregnancies from all unaffected pregnancies. Screening cutoffs are established by using MoM values that maximize the detection rate and minimize false positives. Addition of Inhibin A analysis to the Triple test protocol increases the detection rate of Down syndrome from 65% to 75%.
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