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सिफलिस क्या है?What is Syphilis?
- सिफलिस क्या है?What is Syphilis?
- सिफलिस के लक्षण- Syphilis Symptoms in Hindi?
- सिफलिस के कारण- Syphilis causes in Hindi?
- सिफलिस का परीक्षण- Syphilis Diagnosis in Hindi?
- सिफलिस का इलाज- Syphilis Treatment in Hindi?
- सिफलिस के घरेलू उपचार- Syphilis Treatment with Home Remedies In Hindi?
- सिफलिस मे क्या करें और क्या खाएं- What to do and What to Eat during Syphilis Treatment?
सिफलिस एक संक्रामक रोग है। जो इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के साथ संभोग (मैथुन भोग) बनाता है। इसके अलावा माता–पिता की बीमारी के कारण उनकी संतानों भी यह रोग हो जाया करता है। आधुनिक पैथी के अनुसार सिफलिस ट्रेपोनिमा पैलिडम (Treponema pallidum) नामक जीवाणु के कारण होता है।
यह जीवाणु मुंह या जननांग क्षेत्र genital Area के अस्तर में घुसकर व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। (सुजाक Gonorrhea के लक्षण कारण टेस्ट और उपचार)
सिफलिस के लक्षण- Syphilis Symptoms in Hindi?
सिफलिस के लक्षण को तीनों अवस्थाओं व्यक्ति किया गया है।
प्राथमिक अवस्था- First Stage Syphilis symptoms:
इस अवस्था में लिंग के अगले भाग में एक फुंसी पैदा हो जाती है जो आगे चलकर फट जाती है, और इसके बाद उस जगह पर जख्म हो जाता है और उसमें से पीप (Pus) निकलने लगता है जख्म के पास लिम्फ नोड्स (lymph nodes) में सूजन उत्पन्न हो जाती , त्वचा पर खुजली रहित लाल चकत्ते उत्पन्न होने पर, इत्यादि। (Go to My YouTube)
द्वितीय अवस्था- Secondary Stage Syphilis symptoms:
सिफलिस की इस अवस्था में रोगी को बुखार आता है, हड्डियों में दर्द होता है, रोगी कमजोरी अनुभव करता है, उसके सिर के बाल उड़ जाते हैं। आंखों में दोष हो जाता है तथा तरह-तरह की पीड़ा और घाव होने लगते हैं।

तृतीय अवस्था-Third Stage Syphilis symptoms:
इस अवस्था में सिफलिस (उपदंश) का विष शरीर में फैल जाता है। शरीर पर चकत्ते, अर्बुद या ट्यूमर आदि निकल आते हैं।
यह बीमारी अपनी ‘तीसरी अवस्था‘ में विशेष संक्रामक नहीं होती, क्योंकि इस अवस्था में यह भीतरी अंगों में होती है।
सिफलिस के कारण- Syphilis causes in Hindi?
सिफलिस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के साथ संभोग (मैथुन भोग) बनाता है। इसके अलावा माता–पिता की बीमारी के कारण उनकी संतानों भी यह रोग हो जाया करता है। सिफलिस ट्रेपोनिमा पैलिडम (Treponema pallidum) नामक जीवाणु के कारण होता है।

ये बीमारी कभी-कभी जूठे बर्तनों से जैसे किसी व्यक्ति के होठों पर सिफलिस का घाव हो गया हो और उसने किसी बर्तन से पानी पिया हो तो उसी जूठे बर्तन में दूसरे के पानी पी लेने से भी यह रोग हो सकता है।
अधिकतर यह रोग दषित हक्का पीने, सिगरेट, बीडी या चंबन द्वारा भी हो जाया करता है
सिफलिस का परीक्षण- Syphilis Diagnosis in Hindi?
Syphilis(सिफलिस) नामक रोग का पता करने के लिए VDRL TEST किया जाता है।
लेकिन VDRL test रक्त में इस जीवाणु की जांच नहीं करता बल्कि रक्त में मौजूद उन प्रतिरक्षियों (antibodies) का पता लगाता है जो रोगी के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इस जीवाणु के प्रति बनाती है |

यदि आपके टेस्ट के परिणाम नकारात्मक (Negative) आतें हैं, तो इसका मतलब है कि आपको बीमारी नहीं है।
यदि परिणाम Vdrl सकारात्मक (Positive) दिखाता है, तो इसका मतलब है कि आपको सिफिलिस हैं। रोग की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर और विशिष्ट टेस्ट कराने का आदेश देगा।
यह टेस्ट जांच करेगा कि आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ने बैक्टीरिया के कारण सिफिलिस की प्रतिक्रिया में विशिष्ट एंटीबॉडी का निर्माण किया है।
परन्तु कुछ मामलों में कभी कभी VDRL test का परिणाम गलत भी आ सकता है |
ऐसा इसलिए क्योंकि कभी- कभी व्यक्ति का शरीर रोग के लक्षण दिखाने में समय ले सकता है जिससे VDRL test negetive आ सकता है।
लेकिन कभी कभी पूर्ण रूप से ठीक हो जाने पर भी Vdrl positive आ सकता है। क्योंकि ठीक हो जाने पर भी कुछ समय तक प्रतिरक्षी शरीर में मौजूद रहते हैं |
कई अन्य रोग जैसे HIV,मलेरिया,न्यूमोनिया,T.B. आदि भी VDRL test को प्रभावित कर सकते हैं और ये positive आ सकता।
इसके अलावा कभी कभी ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति का शरीर एंटीबाडीज ही न बनाये ऐसी स्थिति में भी VDRL test का परिणाम सही नहीं आता।
परन्तु फिर भी यह Syphilis test अधिकतर मामलों में विश्वसनीय होता है |इस Vdrl positive परिणाम आने पर डॉक्टर कुछ अन्य test कराने की सलाह भी देता है |
सिफलिस का इलाज- Syphilis Treatment in Hindi?
पहले लोगों की आम धारणा थी कि उपदंश रोग किसी भी तरह ठीक नहीं होता लेकिन आज के समय मे इस रोग को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है
किसी व्यक्ति में रक्त जांच के बाद यदि यह पता चलता है, कि उसके शरीर में सिफलिस के वायरस पहले या दूसरे चरण में हैं।
तो इसके उपचार के लिए पेनिसिलिन की एक खुराक काफी होती है। पेनिसिलिन की खुराक रोगी के कूल्हे में इंजेक्शन से दी जाती है।
कुछ लोगों को पेनिसिलिन से एलर्जी भी हो जाती है, यदि आपको भी ऐसी कोई समस्या है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
सिफलिस के घरेलू उपचार- Syphilis Treatment with Home Remedies In Hindi?
आज के समय मे Syphilis Treatment घरेलू उपचारों से भी संभब है।
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- सुपारी का चूर्ण डालने (बुरकने) से उपदंश के घाव मिट जाते हैं।
- अनार की छाल का चूर्ण बुरकने से उपदंश के घावों में लाभ होता है।
- अजाझाड़े (चिरचिटा) की धूनी देने से उपदंश के घाव मिट जाते हैं।
- चमेली के ताजे पत्तों का रस, गाय का घी और राल (प्रत्येक 2–2 तोला) मिलाकर पीने से प्रत्येक प्रकार का उपदंश मिट जाता है।
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- 1 तोला नीम के पत्ते पानी के साथ पीसकर उसमें 3 माशा अजवायन मिलाकर पीने से उपदंश मिट जाता है।
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- 1 तोला नीम के पत्ते बकरी के दूध की लस्सी के साथ लेने से उपदंश मिटता है।
- अनार के पत्ते छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे 1–1 तोले की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ खाने से उपदंश में लाभ होता है।
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- त्रिफला के काढ़े से उपदंश के घावों को धोकर ऊपर से त्रिफला की राख को शहद में मिलाकर लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं।
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- भैंस की चर्बी गर्म करके पांवों पर मलने से 7 दिन में उपदंश मिट जाता है।
- चंदन का तेल 4–5 बूंद बताशे में भरकर एक सप्ताह तक खाने से उपदंश मिट जाता है।
सिफलिस मे क्या करें और क्या खाएं- What to do and What to Eat during Syphilis Treatment?
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- सिफलिस की व्रद्धि जीवाणुओं के संक्रमण से होती है इसलिए रोगी को अपने यौनांगों की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
- दिन में दो–तीन बार डिटोल मिले जल से यौनांगों को स्वच्छ करना चाहिए।
- नीम के पत्तों को जल में उबालकर भी यौनांगों को स्वच्छ कर सकते हैं।
- उपदंश के रोगी को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिससे रक्त दूषित होता है।
- ज्यादा मिर्च–मसालों और चटपटे, अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थ रक्त को दूषित करके अधिक हानि पहुंचा सकते हैं।
- रोगी को प्रातः भ्रमण करने के लिए जाना चाहिए। शुद्ध वायु के शरीर में पहुंचने से रक्त शुद्ध होता है।
- रोगी को धूल–मिट्टी पड़ी, बाजार में खुली रखी चीजों को बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। दूषित और बासी भोजन भी बहुत हानि पहुंचाता है।