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विटामिन्स के नाम, प्रकार और फायदे (types and benefits of vitamins)
- विटामिन्स के नाम, प्रकार और फायदे (types and benefits of vitamins)
- विटामिन के प्रकार
- 1. विटामिन ए:
- 2. विटामिन बी कॉम्प्लेक्स: विटामिन बी का मुख्य काम हमारी पाचनक्रिया को स्वस्थ रखना है। इस विटामिन की कमी से पेट संबंधी परेशानियाँ जैसे भूख न लगना, दस्त आदि हो सकते हैं। नसों में सूजन और बेरी-बेरी रोग की संभावना भी हो जाती है। मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और पैरालिसिस या हार्टफेल भी हो सकता है।
- विटामिन बी-1 या थायमीन
- विटामिन बी-3 नियासिन या निकोटिनिक अम्ल
- विटामिन बी-2 (रिबोफ्लेविन)
- विटामिन बी-5 (पेंटोथेनिक एसिड)
- विटामिन बी-6 (पाइरीडोक्सिन)
- विटामिन बी-12 (बायोटिन या कोबालमिन्स)
- 3. विटामिन-सी (एस्कार्बिक अम्ल)
- 4. विटामिन डी (कोलेकेल्सिफ़ेराल) (विटामिन डी के वारे मे विस्तार मे जानने के लिए)
- 5. विटामिन ई (अल्फा टोकोफेरल)
- 6. विटामिन ‘के’
- इपोथायरायडिज्म के क्या-क्या लक्षण होते हैं?
- Vitamin D के कम हो जाने से क्या-क्या प्रोब्लेम्स होती हैं ?
- निपाह वायरस के लिये कौन सा टेस्ट किया जाता है और इसकी कीमत कितनी है?
- यूरिन R/M टेस्ट किस लिए किया जाता है
- विटामिन डी की कमी को पूरा कैसे करें
- विटामिन बी-12 की कमी से क्या बीमारी हो जाती हैं
- ट्रोपोनिन टेस्ट से क्या पता चलता है?
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मानव शरीर मे 13 तरह के विटामिन्स होते है विटामिन्स ए, बी, सी, डी, ई, के इत्यादि विटामिन्स बी कॉम्प्लेक्स मे 6 तरह के विटामिन्स शामिल हैं। विटामिन्स भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जबकि शरीर को इनसे ऊर्जा (कैलोरी) नहीं मिलती लेकिन ये शरीर की मेटाबोलिस्म की क्रियाओं का नियमन करते हैं और शरीर के विकास मे सहायक होते हैं। इसके अलावा ये पोषक तत्वों की कमी से शरीर को बचाते हैं। इनके कमी से मानव शरीर मे कई गम्भीर बीमारियाँ हो सकती हैं। इसलिए भोजन मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस और वसा के साथ ही विभिन्न तरह के विटामिन्स का होना भी बहुत जरूरी है।
विटामिन के प्रकार

विटामिन्स कुल 13 प्रकार के होते हैं और सभी विटामिन्स को दो मुख्य भागों में बांटा गया है। एक भाग “वसा में घुलनशील” और दूसरा भाग “पानी में घुलनशील” कहलाता है। जो विटामिन वसा में घुलनशील होते हैं वो शरीर में फैट में घुल जाते हैं और जो पानी में घुलनशील होते हैं वो शरीर में मौजूद पानी में घुल जाते हैं। दोनों प्रकार के विटामिन एक साथ ही काम करते हैं। वसा में घुलनशील विटामिन शरीर के रक्त में पहुँचकर उसे एनर्जी देते हैं और पानी में घुलने वाले विटामिन पानी में घुलकर किडनी द्वारा बाहर हो जाते हैं। वसा में घुलनशील विटामिन में चार और पानी में घुलने वाले विटामिन में नौ विटामिन्स होते हैं।
1. विटामिन ए:
कार्य- इसे रेटिनाल भी कहते हैं इस विटामिन का काम शरीर की त्वचा, बाल, नाखून, दाँत, , मांसपेशियाँ , मसूड़ो और हड्डी को ताकत देना है ब्लड में कैल्शियम का संतुलन भी इसी विटामिन से होता है।
कमी के कारण होने वाले रोग- रतौंधी, जीरो आपथेलमिया, गरीब घर के बच्चों मे कुपोषण का कारण इत्यादि इसी की कमी से होते हैं ।
स्रोत- यह दूध, घी, मक्खन, अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गाजर, टमाटर इत्यादि मे पाया जाता है।
2. विटामिन बी कॉम्प्लेक्स: विटामिन बी का मुख्य काम हमारी पाचनक्रिया को स्वस्थ रखना है। इस विटामिन की कमी से पेट संबंधी परेशानियाँ जैसे भूख न लगना, दस्त आदि हो सकते हैं। नसों में सूजन और बेरी-बेरी रोग की संभावना भी हो जाती है। मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और पैरालिसिस या हार्टफेल भी हो सकता है।
इसमे कई तरह के विटामिन्स शामिल हैं जैसे विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी7, बी9 और विटामिन बी 12 हैं। जो हमारे शरीर के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं। इनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।
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विटामिन बी-1 या थायमीन
कार्य- ह्रदय एवं शरीर की तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ और सक्षम रखना।
कमी के कारण रोग- विटामिन बी-1 की कमी के कारण बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है।
स्रोत- ताजे फल, सब्जियाँ विशेषकर हरी सब्जियाँ।
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विटामिन बी-3 नियासिन या निकोटिनिक अम्ल
कार्य- त्वचा एवं मस्तिक की कोशिकाओं का पोषण।
कमी के कारण होने वाले रोग- त्वचा एवं मुँह मे छाले, बुद्धि की कमी इत्यादि।
स्रोत- यह माँस, खमीर, चोकरयुक्त आटा, काफी-बीन, मटर इत्यादि मे पाया जाता है।
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विटामिन बी-2 (रिबोफ्लेविन)
कार्य- ये विटामिन आँख एवं त्वचा की कोशिकाओं का विकास करती है और रक्त उत्पादन मे सहायक होती है।
कमी से होने वाले रोग- मुँह, ओंठो के किनारों पर छाले और खून की कमी होना।
स्रोत-अंकुरित अनाज, माँस, पनीर इत्यादि।
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विटामिन बी-5 (पेंटोथेनिक एसिड)
कार्य- तनाव कम करने वाला,स्वस्थ हृदय के लिए,स्टेमिना बढ़ाता है और खून की कमी को दूर रखने मे सहायक होता है।
कमी से होने वाले रोग-अस्थमा, ऑस्टियोअर्थराइटिस, पार्किसंस रोग, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम और खून की कमी होना।
स्रोत- विटामिन B 5 मशरूम, स्ट्राबेरी, बादाम, शक्करकंद, दुग्ध उत्पाद, फिश, एवोकाडो में प्रचुर मात्र में पाया जाता है
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विटामिन बी-6 (पाइरीडोक्सिन)
कार्य- तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं का पोषण,और रक्त उत्पादन मे भी सहायक होती है ये विटामिन।
कमी के कारण होने वाले रोग– न्यूराइटिस, डर्मेटोटाइटिस और खून की कमी।
स्रोत- यह छिलके सहित अनाज, फलीयुक्ति सब्जियाँ, केला इत्यादि।
कार्य- यह रक्त उत्पादन मे प्रमुख भूमिका निभाता हैं।
कमी के कारण होने वाले रोग- रक्ताल्पता (अनीमिया)
स्रोत- यह माँस, मछ्ली, अंडों एवं हरी सब्जियों तथा फलों मे पाया जाता है।
3. विटामिन-सी (एस्कार्बिक अम्ल)
कार्य-एस्कार्बिक ऐसिड के नाम से मशहूर विटामिन सी शरीर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के साथ ही शरीर की इम्यूनिटी की भी रक्षा करता है।और मसूड़ो को स्वस्थ
रखने मे सहायक होता है।
कमी से होने वाले रोग- विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग की संभावना हो जाती है जिसके कारण शरीर में हर समय थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द, मसूड़ों से खून आने और पैरों में लाल निशान जैसी परेशानियाँ हो जाती हैं। इसके अलावा शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाने से छोटी-छोटी बीमारियाँ और खांसी, जुकाम, मुंह के रोग, दाँत व त्वचा के रोग, पेट में अल्सर आदि परेशानियाँ हो सकती हैं।
स्रोत-आंवले के साथ ही यह कुछ फलों और सब्जियों में भी विटामिन सी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। संतरा, अन्नानास, अनार, आम आदि जैसे फल और नींबू, शकरकंद, मूली, बैंगन और प्याज जैसी सब्जियों में भी यह पाया जाता है।
4. विटामिन डी (कोलेकेल्सिफ़ेराल) (विटामिन डी के वारे मे विस्तार मे जानने के लिए)
कार्य- हड्डियों का विकास और देखभाल करना।
कमी से होने वाले रोग- बच्चों मे रिकेट्स और बड़ों मे आस्टोमलेशिया।
स्रोत- सूर्य की किरणें, मछली का तेल,अंडा, दूध इत्यादि।
5. विटामिन ई (अल्फा टोकोफेरल)
कार्य- स्वास्थ्य यौन जीवन के लिए जरूरी, मधुमेह के रोगियों मे रोग की जटिलताओं से बचाव।
कमी से होने वाले रोग- नपुंसकता, बाँझपन, पिंडलियों मे दर्द इत्यादि।
स्रोत- चोकर, वनस्पति तेल, मेवे,गाजर इत्यादि।
6. विटामिन ‘के’
कार्य- यह कुछ ऐसे विशेष पदार्थों को उत्पन्न करता है, जो रक्त जमाने मे सहायक होते हैं।
कमी से होने वाले रोग- विटामिन के की कमी से मस्तिष्क एवं आंतों मे रक्तस्राव, चोट लगने पर खून का जल्दी बंद न होना।
स्रोत- यह आंतों में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा भी उत्पन्न किया जाता है, इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियों से प्राप्त होता है।
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पीलिया या हेपेटाइटिस “ए” के लक्षण, कारण, टेस्ट और उपचार
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